गुरुवार, 14 मई 2020

संविधान की प्रस्तावना


हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को :
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वालीबन्धुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते ।

केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य AIR 1973 SC 1461 के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रस्तावना, संविधान का हिस्सा है, जिसका अर्थ यह है कि इसे संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संशोधित किया जा सकता है। लेकिन ऐसे संशोधन से संविधान का मूलभूत ढांचा बदला नहीं जा सकता है।
संविधान की प्रस्तावना को संविधान की आत्मा माना जाता है, संविधान की प्रस्तावना को समझने के लिए हम प्रस्तावना में दिए गए शब्दो का अर्थ समझेंगे।
Sovereign: संप्रभु. यानी ऐसा देश जो किसी दूसरे के प्रभाव से मुक्त है. अपने सभी फैसले लेने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है, और उस पर किसी बाहरी शक्ति का कोई प्रभाव नहीं होगा।
Socialist: समाजवादी. ये शब्द 1976 में 42वें संशोधन के बाद जोड़ा गया. समाजवाद एक विचारधारा है जो ये मानती है कि समाज में सभी लोगों तक संपन्नता का हिस्सा पहुंचना चाहिए. धन-सम्पत्ति भी समाज से ही उपजती है. तो उसका बंटवारा भी शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण तरीकों से लोगों के बीच होना चाहिए. लोकतांत्रिक समाजवाद की ये विचारधारा कहती है कि धन समाज के कुछ लोगों तक सीमित नहीं रहना चाहिए. उत्पादन के साधनों पर लोगों का मिला-जुला मालिकाना हक़ होना चाहिए।
Secular: धर्म-निरपेक्ष. यानी भारत देश का अपना कोई धर्म नहीं है यहां पर सरकार और धार्मिक समूहों के बीच कोई भी संबंध यहां के संविधान और कानून के हिसाब से तय होता है. देश के हर नागरिक को अपना धर्म मानने, उसे अपनाने, और उसका प्रचार करने का हक़ है. किसी के साथ उसके धर्म के आधार पर भेदभाव करना गैरकानूनी है. ये शब्द भी 42वें संशोधन में जोड़ा गया था।
Democratic: लोकतांत्रिक. भारत देश की जनता अपने प्रतिनिधि वोट के माध्यम से खुद चुनती है. जनता द्वारा जनता का प्रतिनिधि चुना जाता है।
Republic: गणराज्य. यानी जनता द्वारा प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से चुना गया व्यक्ति ही उसका प्रमुख होगा. ये पद वंशानुगत नहीं होगा।
Justice: न्याय. भारत का संविधान सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक, और राजनैतिक स्तर पर न्याय देने का वादा करता है।
Liberty: स्वतंत्रता. अपने विचारों को व्यक्त करने की, अपना धर्म चुनने की, अपने लिए नौकरी चुनने की, अपने प्रतिनिधि चुनने की, अपने और समाज की बेहतरी के लिए विकल्प चुनने की स्वतंत्रता।
Equality: बराबरी. यानी समता. धार्मिक, राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर लोगों के बीच राज्य की तरफ से कोई भेदभाव नहीं होगा. संविधान की नज़र में सब बराबर हैं।
Fraternity: भाईचारा/बंधुत्व. सभी नागरिकों के बीच आपसी भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना।

शनिवार, 2 मई 2020

इरफ़ान खान क़ी मौत पर जशन ?


चेतावनी: मानसिक रूप से अपरिपक्व लोग पोस्ट से दूर रहें
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम  

लिखना कभी शौक हुआ करता था लेकिन वक़्त ने कलम को रोक सा दिया आज बहुत दिन बाद एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर लगा कि लिखना ज़रूरी है लिखने से लोगो तक हमारी भावनाए ही नहीं पहुचती हमारे विचार भी जाते हैं और एक व्यक्ति का काम या उसके विचार सिर्फ उस तक सीमित नहीं होते व्यक्ति का किया गया हर काम कही न कही उसकी धर्म व सोच का प्रतिनिधित्व करता है ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि हम गलत लोगो को कमान न सोंपे और खुद आगे आयें, चलिए आता हूँ अपने मुद्दे पर ।
कुछ दिन पहले देश का महान कलाकार इरफान खान का कैंसर के कारण निधन हो गया इरफान का अभिनय कमाल का था पान सिंह तोमर हो या मदारी, जीवंत व वास्तविकता उनके अभिनय का हिस्सा ही थी एक महान कलाकार का जाना मन को विचलित करता ही है लेकिन खुद को बुद्धिजीवी समझने का भ्रम पालने वाले कुछ फेसबुकिए लाइक कमेन्ट की खातिर सोशल मीडिया पर इरफान की मौत पर खुशियाँ मनाते उन्हे जहन्नुमी बताते देखे गए ये सिर्फ कुछ सिरफिरो के निजी विचार नहीं थे ये एक विचारधारा है जो नफरत की खेती करती है यह वही विचारधारा है जिसके लोग किसी अल्पसंख्यक की लिंचिंग होने पर खुशियाँ मनाते हैं हत्यारो को फूलमालाए पहना कर उनका स्वागत करते हैं ये मौतों पर इसलिए जशन मनाते हैं क्योकि मरने वाला व्यक्ति उनके धर्म का अनुसरण नहीं करता था ज़रा सोचिए अगर कोई व्यक्ति आपकी धार्मिक मान्यताओ से इंकार कर देगा तो क्या आप उसे मार देंगे या उसकी लिंचिंग या अचानक निधन पर जशन मनाएंगे ?

मैं मानवता को लेकर चिंतित हूँ मैं सोच रहा हूँ अगर कभी इन जैसे मुस्लिम लोगो को सत्ता मिली तो ये लोग क्या करेंगे? जो इनके धर्म इनकी मान्यताओ से इंकार करेगा उसका क्या होगा? दाड़ी न रखने वाले मुस्लिमो को ये लोग किस तरह सज़ा देंगे बाहर जॉब करने वाली महिलाओ के लिए ये क्या सज़ा तय करेंगे? दूसरे धर्मो के धार्मिक स्थलो का क्या होगा? शायद ये भी वही करेंगे जो तालिबान ने बमियान में किया शायद ये भी असहमति रखने वालों को गुलाम बना कर वर्ण व्यवस्था फिर से लागू कर देंगे ये भेदभाव व अत्याचार वाले समाज का निर्माण करेंगे दूसरे धर्मो की लड़कियों के रक्षा नहीं हो सकेगी उन्हे जौहर के लिए विवश होना होगा इनकी विचारधारा से असहमत लोग हिटलरी डिटेन्शन सेंटरो में मरने के लिए डाल दिए जाएंगे सभी मुस्लिमो शासक इन जैसे ही थे उन्होने ऐसे ही अत्याचार किए इसलिए ज़रूरी है कि इन्हे हर तरीके से सत्ता से दूर रखा जाए इनके समुदाय का पक्ष करने वाले सेकुलर राजनीतिक दलो को हराया जाए देश में सिर्फ हिन्दू हित की बात करने वाले इनकी मस्जिद की जगह मंदिर बनाने वाले हिन्दू वीरों सत्ता दी जाए देश को हिन्दू राष्ट्र बनाया जाए और एनआरसी लागू करके इनके अस्तित्व को समाप्त कर दिया जाए।
ऐसा ही माहौल बनवाने में मद्द कर रहें हैं ये लोग, बस इतनी सी क्रोनोलाजी है। अगर अपने समुदाय व देश बचाना है तो इस तरह की हर सोच का विरोध करना होगा चाहे उस सोच का व्यक्ति आपके धर्म का ही क्यो न हो
जय हिन्द
लेखक एडवोकेट आफताब फ़ाज़िल
Fight2right@gmail.com

शनिवार, 4 अप्रैल 2020

How to Get urgent E-Ration Card ll अस्थाई राशन कार्ड कैसे पाए



अस्थाई राशन कार्ड के जरिए पाए सरकार से फ्री राशन जानिए कैसे ?

लॉकडाउन के कारण राशन नहीं, पैसा नहीं, किराएदार हैं, राशन कार्ड भी नहीं तो घबराए न पाए सरकार से ई कूपन के जरिए फ्री राशन