शनिवार, 18 मई 2013

दिल्ली पुलिस की कहानी फ़ैल: लियाकत को ज़मानत

 आईपीएल मैचों में होनेवाली फिक्सिंग को उजागर करके भले ही दिल्ली पुलिस के कमिश्नर पत्रकारों पर तंज कस रहे हों कि अब आप हमारा इस्तीफा नहीं मांगेगे, लेकिन इस खुलासे के एक दिन बाद ही एनआईए कोर्ट द्वारा लियाकत अली को जमानत दे दिये जाने से दिल्ली पुलिस की भी फिक्सिंग पर सवाल उठ सकते हैं। क्योंकि जिस लियाकत अली को दिल्ली में आतंकी साजिश रचने के आरोप में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ने गिरफ्तार किया था, आज उस लियाकत अली शाह को एनआईए कोर्ट ने महज 20 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दे दी।
जिला न्यायाधीश आईएस मेहता ने 20 हजार रूपये के निजी मुचलके तथा इतनी ही राशि की जमानत देने पर लियाकत को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए। अदालत ने लियाकत को जमानत प्रदान करते हुए कई शर्तें लगायी हैं और उन्हें अदालत की पूर्वानुमति के बिना देश छोड़ कर नहीं जाने का निर्देश दिया है।
45 वर्षीय लियाकत को उनके परिवार के साथ 20 मार्च को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में भारत-नेपाल सीमा पार करते समय गिरफ्तार किया गया था। लियाकत का कहना था कि वह जम्मू कश्मीर सरकार की पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने के लिए आया था। सीमा पार करने के तुरंत बाद उसे गिरफ्तार करने वाली दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया था कि लियाकत राष्ट्रीय राजधानी में होली से पूर्व आतंकवादी हमले करने की साजिश में शामिल था। दिल्ली और जम्मू कश्मीर पुलिस की ओर से लियाकत की गिरफ्तारी को लेकर विरोधाभासी बयान आने के बाद गृह मंत्रालय ने 28 मार्च को एक अधिसूचना जारी कर यह मामला एनआईए को सौंप दिया था।
तिहाड़ जेल में बंद लियाकत ने यह कहते हुए जमानत मांगी थी कि वह आत्मसमर्पण करने के लिए सोनौली बार्डर होते हुए भारत लौट रहा था लेकिन दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने उन्हें 20 मार्च को गिरफ्तार कर लिया। लियाकत के वकील आसिम अली ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल अपनी पत्नी और बच्चों के साथ थे जिस समय उन्हें गिरफ्तार किया गया और जांच एजेंसी किसी भी अपराध के साथ उनका संबंध स्थापित करने में विफल रही है। यहां जामा मस्जिद इलाके से हथियारों और गोला बारूद की कथित बरामदगी के संबंध में उनके वकील ने कहा था कि यह उनके मुवक्किल की निशानदेही पर बरामद नहीं किए गए हैं जैसा कि विशेष शाखा ने आरोप लगाया है। उन्होंने यह भी कहा था कि आज तक जांच के दौरान लियाकत के खिलाफ कोई भी ठोस सबूत नहीं पाया गया।
लियाकत की गिरफ्तारी के बाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला की पहल पर उसका मामला एनआईए को सौंपा गया था जिसका परिणाम यह हुआ कि आज उसे जमानत मिल गई। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के इस कारनामे पर भी दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को जरूर कोई बयान देना चाहिए।
वाया http://visfot.com/

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