शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

अब लखनऊ की तारीखी मस्जिद निशाने पर

अपनी गंगा जमनी तहज़ीब के लिए सारी दुनिया में मशहूर उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर पर अब देश में धर्म के नाम पर बाटने की साजिश करने वालो की नज़र पड़ गयी है वहाँ कि एक 350 साल पुरानी तारीखी मस्जिद को निशाना बनाने की गरज से कुछ इन्तहा पसंद लोगो ने अदालत में एक अर्जी देकर वहाँ पूजा करने की इजाज़त मांगी है हज़रत शाह पीर मुहम्मद की बनायीं हुयी को टीले वाली मस्जिद के नाम से जाना जाता है ये मस्जिद लखनऊ के बड़े इमामबाड़े के सामने एक टीले पर है इस मस्जिद में ईद के मोके पर लाखो लोग नमाज़ पढते है मस्जिद के मैदान में मुसलमानों के बड़े बड़े जलसे और एहतेजाज भी होते है मसिद के बराबर में ही हज़रत शाह पीर मुहम्मद का मजार भी है फिरकापरस्त ताक़तो की नज़र इस मस्जिद पर ज़माने से है और उन लोगो ने हज़रत शाह पीर मुहम्मद के इस टीले को लक्ष्मण टीला नाम दिया हुआ है इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हरी शंकर जैन एडवोकेट और अग्निहोत्री एडवोकेट ने एडिशनल सिविल जज की अदालत में एक दीवानी मुकदमा मस्जिद की जगह पर अपना मालिकाना हक बताने और वहाँ पूजा करने की इजाज़त की मांग के लिए दायर किया है 

लखनऊ अपनी तहज़ीब के साथ साथ हिंदू मुस्लिम एकता की एक मिसाल ज़माने से रहा है यहाँ एक तरफ कुछ गैर मुस्लिम राजाओ की बनवाई हुयी कई मस्जिदे है तो दूसरी तरफ मुस्लिम नवाबो ने भी कई मंदिरों का निर्माण करवाया था इस तरह की साम्प्रदायिक एकता की मिसाले ढूंढे से मिलती है लेकिन अब इस एकता पर फिरकापरस्त ताक़ते ग्रहण लगाने के लिये कमर कस चुकी है जिसकी ताज़ा मिसाल ये घटना है और इस घिनोनी हरकत का सहारा लेकर ये फिरकापरस्त लोग लखनऊ के इतहास को पलटना चाहते है अदालत ने फिरकापरस्तो की दरखास्त कबुल करते हुए सिविल जज ने जिला मजिस्ट्रेट, एस० पी० सिटी, एस० ओ० चौक और मस्जिद के इमाम फजलुर्रहमान वाज़ी को नोटिस जारी कर दिए है अदालत ने दावे पर ऐतराज़ दाखिल करने और सुनवाई के लिये 15 जुलाई की तारीख तय कर दी है अदालत ने मुक़द्मे को बहस के तोर आर दर्ज करने का आदेश दिया है साथ ही अदालत ने आदेश दिया है कि शिकायतकर्ता आपने खर्च पर अखबारों में इस मुक़दमें से जुड़े ऐलान छपवाए और इसके बारे में मस्जिद के आसपास रहने वाले हिंदू और मुसलमानों में पर्चे बटवाये और अखबार व पर्चे के एक की अदालत में जमा कराये अदालत ने कहा है कि दोनों पक्षों के अलावा भी कोई अपनी बात रखना चाहे तो आकर रख सकता है  


इंकलाब जिंदाबाद 

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