शनिवार, 5 मार्च 2016

राष्ट्रवाद बनाम राष्ट्र

हमारा राष्ट्र हमारा सम्मान है दुनिया में जितना नाम हमारे देश का होगा उतना ही सम्मान भारतियों नागरिको का होगा बड़ी संख्या में देश के होनहार युवा विदेशो में नौकरी पाकर सम्मान से जीवन जी रहें हैं लेकिन कितना अच्छा होगा कि भारत ही अपने इन काबिल युवाओ को नौकरी उपलब्ध करा सके ताकि हमारे युवाओ को मजबूरी में विदेशी ताक़तों को मज़बूत न करना पड़े लेकिन अब सवाल आता है कि आखिर ऐसा होगा कैसे ?
देश का कोई भी नेता जनता को सपने दिखा कर बड़ा नेता यहाँ तक की प्रधानमंत्री तक बन जाता है लेकिन उसके बाद वो सपने जो दिखाए जाते है जिनके बारे में कहा गया था कि हमारी सरकार बनते ही महंगाई कम हो जाएगी काला धन वापस आजायेगा हर भारतीय को पन्द्रह-पन्द्रह लाख रूपए मिल जायेंगे वो सत्ता प्राप्त होते ही वापस एक ऐसे सपने में परिवर्तित हो जाते है जो शायद कभी पूरा ही न हो सके जिन लोगो से वादा किया जाता है पन्द्रह लाख देने का उनके ही बुढ़ापे में मिलने ई पी ऍफ़ पर टेक्स लगा कर उनसे पन्द्रह लाख वसूलने का प्लान बजट में बना दिया जाता है लेकिन हम सिर्फ नेताओ को दोष देकर दोष मुक्त नहीं हो सकते इसलिए भारत के हर नागरिक का दायित्व है कि वह देश को शिक्षित करने गरीबी हटाने भेदभाव मिटाने असुरक्षा की भावना को ख़त्म करने संप्रदायिकता का खत्म करने आदिवासियों और दलितों को सम्मान दिलाने जातिवाद को ख़त्म करने और मज़बूत करने का प्रयास करना चाहिए लेकिन कैसे ये होगा कैसे क्योकि आज नफरत फ़ैलाने, दंगा भड़काने, घोटाले करने वाले लोग ही खुद को राष्ट्रवादी घोषित किये हुए हैं जब रोहित वेमुला को आत्महत्या करने पर विवश करने वाले का विरोध देश भर में हुआ तो मुद्दे से सबका ध्यान हटाने के लिए जवाहर लाल यूनिवर्सिटी को निशाना बनाया गया और किराये पर लोग लेकर जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के विरुद्ध सोशल मीडिया पर माहोल बनाने का असफल प्रयास किया गया अब सोचना ये है कि जो लोग धर्म के नाम पर दंगा कराते है पढ़े लिखे दतिलो को आत्महत्या करने पर विवश करते हैं झूटी खबरे फैलाकर लोगो को भड़का कर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगो की हत्या करवाते हैं और उनमे असुरक्षा की भावना पैदा करने का प्रयास करते है तो वह लोग तो रुकावट पैदाकर रहे हैं देश के विकास में जिस नौजवान को देश का इतिहास लिखना है देश को शिखर पर ले जाना है ये लोग उसे दूसरे धर्म के खिलाफ भड़का कर उसे गुमराह करते है जिस नौजवान को अन्य नौजवानों के साथ मिल कर देश की उन्नति करवानी है ये उसे लव जिहाद की फर्जी कहानी सुना कर दुसरे समुदाय से लग करते है जो लोग अदालत के फैसले को मानने से खुला इंकार करते है महात्मा गाँधी के हत्यारे को नायक बताते हैं तिरंगे से ज्यादा महत्व दूसरे झंडे को देते हैं और खुद की सेना बना कर लोगो को गैर क़ानूनी तरीके से हथियार चलाने की ट्रेनिंग देते है और कहते है कि हम ऐसा भारत की रक्षा के लिए कर रहे है तो मैं इस तथाकथित राष्ट्रवादियों से जानना चाहूँगा कि क्या इन्हें भारतीय सेना की क्षमता पर विश्वास नहीं है इनकी इन हरकतों से सेना का मनोबल नहीं गिरेगा अब जो लोग देश की विविधता, एकता और अखंडता के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं वो कैसे राष्ट्रवादी है जो अपने ही राष्ट्र की क्षति करने पर उतारू हैं क्या आपको याद है कि हिटलर भी बहुत बड़ा राष्ट्रवादी था और उसके कारण उसके देश को कितना नुकसान हुआ ये राष्ट्रवाद राष्ट्र के विरुद्ध ही जा रहा है इसे रोकिये और एक ज़िम्मेदार नागरिक बनिए देश को जोड़ने के लिए काम कीजिये तोड़ने के लिए नहीं  

लेखक आफताब फ़ाज़िल 

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