रविवार, 31 दिसंबर 2017

क्यों असफल हो रहे हैं असदउद्दीन ओवैसी ?

 दोस्तों आज हम बात कर रहे हैं aimim के अध्यक्ष जनाब असद उद्दीन ओवैसी की जी हाँ वही ओवैसी जिन्होंने मुस्लिम समुदाय में राजनितिक जागरूकता फ़ैलाने के लिए बहुत असरदार तकरीरे कीं लेकिन उनकी वो जज्बाती तकरीरे इतने वोटो को अपनी तरफ नहीं खीच पाई कि बिहार, उत्तर प्रदेश व् दिल्ली में उनकी पार्टी का खाता खुल पाता दोस्तों साथ ही साथ मै बताता चलू कि मै बात कर रहा हूँ ऐसे चुनावो की जहाँ जीत जाना अपने आप में आपको वजूद देता है छोटे चुनावो में तो निर्दलीय उम्मीदवार भी अक्सर जीत ही जाते हैं
दोस्तों कुल मिल आकर असदउद्दीन ओवैसी साहब की असफलता के कारणों पर मैं यहाँ अपनी राय रखने जा रहा हूँ ओर मैं बात करूँगा ओवैसी साहब की कुछ पॉजिटिव व् नेगेटिव बातो पर! ओर ये नेगेटिव बात कोई हवा में छोड़ा गया तीर नहीं है कौम के नाम पर राजनीतिक सफलता हासिल करने की तमन्ना रखने वाले हर मुस्लमान के लिए ये जानना ज़रूरी है कि सिर्फ असदउद्दीन ओवैसी ही नही इनसे पहले आने वाली कई मुस्लिम पार्टियाँ क्यों असफल रही हैं चाहे वो डॉ मसूद की नेशनल लोकतान्त्रिक पार्टी हो या डॉ अय्यूब की पीस पार्टी या मुस्लिम लीग व दिगर कई ऐसी पार्टियाँ जो आती रही ओर जाती रही लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली ये सभी मुस्लिम राजनीति करने वाली पार्टियाँ हैं जो असफल रही
दोस्तों मेरी ये रिपोर्ट इन सभी मुस्लिम पोलटिकल पार्टियों की नाकामी की वजहों पर रौशनी डालेगी
सबसे पहले असदउद्दीन ओवैसी की पॉजिटिव बात

मुझे असदउद्दीन ओवैसी मै सिर्फ एक ही पॉजिटिव बात दी ओर वो है उनकी तकरीर जो फैक्ट के आधार पर होती है ओर इसके दम पर वो अच्छे अच्छे की बोलती बंद कर देते हैं
अब बात करते हैं उनकी नेगेटिव बातो की
  • 1.       अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओ को सम्मान नहीं देते

उनकी पार्टी के जुझारू कार्यकर्ता भी आसानी से उनसे नहीं मिल सकते अगर वो मिलते भी हैं तो शायद ही किसी को बेठने के लिए भी कहते हैं

  • 2.       असदउद्दीन ओवैसी में लीडरशिप की कमी हैं

ओवैसी साहब अच्छे वक्ता तो हैं लेकिन अच्छी लीडरशिप क्वालिटी उनके पास नहीं हैं असल में उनका मिजाज़ एक डिक्टेटर जैसा है वो ज़मीनी स्तर पर पार्टी को खड़ा कर ही नहीं सके व उनके सदस्य भी सिर्फ सोशल मीडिया पर एक्टिव दिखाई दिए जबकि वोटो के लिए उन्हें डोर टू डोर जाने की रणनीति बनानी चाहिए थी

  • 3.       उनमे सही फैसला लेने की सलाहियत नहीं है

असदउद्दीन ओवैसी के अन्दर सही फैसला लेने की सलाहियत व हिम्मत नहीं है वो भी बाकि राजनीतिक पार्टियों की तरह ही चुनाव में पैसे वाले या सेक्युलर पार्टियों के तलवे चाटने वाले लोगो पर ही भरोसा करते दिखाई दिए जिसके कारण उनकी दिल्ली टीम के कई लोगो ने उनका विरोध किया जिसमे से कई को मै निजी तौर पर भी जनता हूँ जबकि चुनाव में अगर वो थोड़ी हिम्मत करने पैसे वाले अन्य पार्टियों के बाघी की जगह अपनी पार्टी के ही ज़मीनी ज़मीनी कार्यकर्ताओ को चुनाव लड़ते तो बाकि से अलग दिखाई देते इसके लिए उन्हें आम आदमी पार्टी से कुछ सीखना चाहिए जिसने रिक्शा चलने वाले आम इन्सान को भी टिकट दिया ओर जीता कर विधानसभा भेजा

  • 4.       असदउद्दीन ओवैसी में कौमी एकता की कमी है

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ओवैसी साहब आखिरी वक़्त तक मायवती से गठबंठन करने का सपना देखते रहे जबकि इसकी जगह अगर वो बाकि मुस्लिम राजनीतिक पार्टियों जैसे sdpi, पीस पार्टी, राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल व अन्य के साथ समझोता करके चुनाव लड़ते तो शायद कुछ पॉजिटिव रिजल्ट आ सकता था ओर समाज को मुस्लिम एकता का एक सन्देश भी जाता
दोस्तों अगर आपको मेरी रखी बातो में कोई गलती दिखाई देती है तो आप पोस्ट के नीचे कमेन्ट कर सकते है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें