असम में काँग्रेस की सरकार
के शासन काल में एन०आर०सी० लागू की गई जिसका उद्देशय बंगलादेश से भारत में आए लोगो
की पहचान करके उन्हे वापस बांग्लादेश भेजना था भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए जनता
को 1971 से पहले भारत में निवास करने का सबूत दिखाना था लेकिन भारत में बड़ी संख्या
में अशिक्षित नागरिक हैं जिसके सभी कागजातो पर उनका व उनके पिता का सही नाम लिखा होना
भी बड़ी बात है इसी सब के चलते 2019 में जब एन०आर०सी० का फ़ाइनल डाटा आया तो असम के लगभग
19 लाख लोग अपनी नागरिकता साबित करने में असफल रहे डाटा आने से पहले तक ऐसी धारणा थी
कि जितने भी बंगलादेशी घुसपेठिये हैं वे सभी मुस्लिम हैं लेकिन नतीजे इसके उलट आए और
19 लाख लोगो मे से लगभग 14 लाख हिन्दू घुसपेठिए थे जिसके बाद बड़ी संख्या में एन०आर०सी०
का विरोध हुआ व एक स्पीच मे ग्रह मंत्री ने इशारा दिया कि हिन्दू, सिख, ईसाई, जैन, पारसी इत्यादि विदेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता
दी जाएगी लेकिन घुसपेठियों को छोड़ा नहीं जाएगा इस वक्तव्य का इशारा साफ था कि एन०आर०सी०
में खुद को भारतीय नागरिक साबित न कर पाने वाले मुस्लिमो को भारतीय नागरिकता नहीं दी
जाएगी
।
इसी कड़ी को आगे जोड़ते हुये
नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा व राज्यसभा में बहुमत से पास हो गया व साथ ही स्पष्ट हो
गया कि जो मुस्लिम अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाएंगे उन्हे बंदीगृह में रहना होगा
धार्मिक आधार पर भेदभाव करने वाला नागरिकता संशोधन बिल को लागू किए जाने का विरोध
देश में बड़े पैमाने पर हो रहा है हालाकि पहली नज़र में इस बिल के विरोध कोई ओचित्य
नज़र नहीं आता ऐसा लगता है कि पडोसी देशो में हिंसा व् अत्याचार से परेशान वहाँ के
नागरिको को भारतीय नागरिकता देने की अच्छी पहल है जिससे पडोसी देशो में अत्याचार
झेल रहे लोगो को भारतीय नागरिकता देकर उन्हें सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार दिया
जाएगा लेकिन जैसे जैसे इस बिल को पढ़ा जाता है तो पता चलता है कि इस बिल में सभी
धर्मो को जगह न देकर सिर्फ कुछ धर्मो को जगह दी गई है ख़ास तौर पर मुस्लिम धर्म के
लोगो को नागरिकता से वंचित रखा गया है जिसके कारण यह बिल संविधान में दिए गए मौलिक
अधिकार आर्टिकल 14 के विरुद्ध प्रतीत होता है आर्टिकल 14 के अनुसार-
राज्य, भारत के राज्यक्षेत्र में किसी
व्यक्ति को कानून के समक्ष समता से या कानून के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।'
भारतीय
संविधान के भाग-3 समता का अधिकार में अनुच्छेद-14
की परिभाषा के अनुसार सरकार भारत में किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव
नहीं करेगी नागरिकता संशोधन बिल विदेशी लोगो को भारतीय
नागरिकता देने के संबंध में है लेकिन मुस्लिम समुदाय को इससे बाहर रखने के कारण यह
बिल सरकार की नियत पर सवाल खड़े करता है
भारतीय संविधान में कहा गया है, 'राज्य किसी नागरिक के साथ धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर कोई भेद नहीं करेगा।'
लेकिन ऐसा प्रतीत होता है जैसे नागरिकता संशोधन बिल धर्म के आधार पर लाया गया है इसमें एक खास धर्म के लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है, जो अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है हालांकि केंद्र सरकार ने इससे इनकार किया है लेकिन अगर CAB में सभी धर्मो को जगह दे दी गयी तो NRC का कोई मतलब नहीं रह जायेगा।
भारतीय संविधान में कहा गया है, 'राज्य किसी नागरिक के साथ धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर कोई भेद नहीं करेगा।'
लेकिन ऐसा प्रतीत होता है जैसे नागरिकता संशोधन बिल धर्म के आधार पर लाया गया है इसमें एक खास धर्म के लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है, जो अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है हालांकि केंद्र सरकार ने इससे इनकार किया है लेकिन अगर CAB में सभी धर्मो को जगह दे दी गयी तो NRC का कोई मतलब नहीं रह जायेगा।
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