बुधवार, 17 अगस्त 2011

अन्ना हजारे एक देशद्रोही

बात शुरू करता हु बीजेपी की घिनोनी और देश को बाटने वाली सियासत से आडवानी की रथयात्रा ने देश की एकता और अखंड को तार तार कर दिया और हिन्दुओ की भावनाओ का मजाक बनाते हुए सत्ता का शोर्ट कट हासिल किया जिस मंदिर के नाम पर जनता की भावनाओ को भड़काया और भारत के दो बेटो हिन्दू और मुसलमानों के बीच नफरत की लम्बी खायी खोद डाली और फिर सत्ता सुख पाते ही हिन्दुओ की भावनाओ को दरकिनार कर दिया और मंदिर मुद्दा सत्ता सुख पाते ही हाशिये पर फेक दिया गया बात और राज करो की अंग्रेजी निति अपनाई थी भाजपा ने जो काफी हद तक कई वर्षो तक सफल रही लेकिन जल्द ही हिन्दू धर्म के लोग जागरूक हुए और बीजेपी को नकार दिया बाकि बीजेपी की बची खुसी आस अदालत ने राम जन्म भूमि  बाबरी मस्जिद का फेसला सुनत हुए तोड़ दी और देश को फिर हिंसा में झोकने की फिराक में बेठी बीजेपी के हाथ आने वाले चुनाव के लिए कोई मुद्दा न बचा तो भ्रष्टाचार के जिन को खड़ा करने के लिए उसने अन्ना हजारे और बाबा रामदेव का साथ पकड़ा ताकि वो इस मुद्दे को उछाल कर कांग्रेस की छवि को ख़राब कर सके और देश में एक ऐसा जन आन्दोलन खड़ा कर सके जो उसकी विरोधी कांग्रेस को हाशिये पर पंहुचा कर उसके हाथ में फिर सत्ता सुख दिला सके अन्ना हजरे के हर परदर्शन में बीजेपी कार्य कर्ताओ का पूरा जो रहा और इस नोटंकी को आन्दोलन कहकर पिरचारित किया गया लेकिन सच कुछ और था अन्ना हजारे सरकार के खिलाफ और देश को अस्थिर करने की कोशिश में लगे रहे काफी हद तक मीडिया को खरीद कर ये काम अंजाम भी दिया गया भ्रष्टाचार करने वाली बीजेपी खुद भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी हुयी लेकिन उस वक्त वो कहाँ थी जब उसी पर आरोप लगे थे ............

हकीकत यही है कि मुद्दा बिहीन बीजेपी किसी तरह सत्ता के करीब आना चाहती थी और इस बार अन्ना हजारे बलि का बकरा बने हैं . कल मीडिया में अन्ना की गिरफ्तारी के बाद सिर्फ भा.जा.पा नेताओ और भाजपा समर्थित राज्यों के मुख्यमंत्रियो द्वारा जिस तरह का प्रचार दिखाया जारह था उस से ये अंदाज़ा तो होगया था कि अन्ना का आन्दोलन राजनीति से ग्रस्त है दूसरी तरफ अन्ना के दावे के विपरीत  आन्दोलन में आम आदमी से कई गुना अधिक  ऐ बी वी पी और भा.ज.यु.मो के कार्यकर्ता थे.
भारतीय जनता पार्टी खुद भ्रष्टाचार  की आड़ में सरकार पर वार नहीं कर सकती क्यों कि उसके शासन में भी कम भ्रष्टाचार  नहीं हुआ था फर्क इतना ही है कि आज कलमाड़ी  और  राजा का नाम लिया जाता है और तब बंगारू लक्ष्मण और जया जेटली का नाम लिया जाता था .
बहुचर्चित ताबूत घोटाला और तहेल्का पर्दाफाश भाजपा के शासन के दोरान ही हुआ था. जिसमे सरे आम दुनिया ने केमरे के सामने भाजपा अध्यक्ष को घूस लेते देखा था क्या उस वक़्त अन्ना का जन्म नहीं हुआ था या अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के समर्थक थे ? क्या उस समय लोकपाल नाम का कोई बिल अन्ना के जहन में नहीं आया . आता भी कैसे क्यों कि तब भा जा पा की सरकार थी
दूसरी अहम् बात ये भी है कि नेता कभी शर्मसार नहीं होते  आज  नरेन्द्र मोदी जैसे नेता किस  हक़ से ऊँगली उठा रहे हैं उनके खुद के राज्य में लोकायुक्त क्यों नहीं न्युक्त करते  ? अभी अभी नितीश कुमार के राज्य बिहार में भ्रष्टाचार  के गंभीर मामले उजागर हुए हैं ये दोनों वही नेता हैं जिनकी अन्ना हजारे ने खुले मुह से तारीफ की थी क्या अन्ना हजारे बता सकते हैं कि उनके भ्रष्टाचार शब्द का मापदंड क्या है ? अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री  को लिखे अपने ख़त में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया था वह वाकई अशोभनीय थी और ये तो तय है कि वह भाषा अन्ना हजारे की नहीं थी .फिलहाल केंद्र  सरकार को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है और अगर अन्ना ये सोचते हो कि वे सरकार गिरा लेंगे तो यह उनका एक स्वप्न है जो जल्दी ही टूट जायेगा

और अन्ना की असलियत का एक सच और वो भी सबूत   के साथ ....

अन्ना हजारे को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पीबी सावंत ने एक न्यायिक जांच में दो लाख रुपए की हेराफेरी के लिए जिम्मेदार बताया था। यह जांच उन्हीं के ट्रस्ट हिंदी स्वराज ट्रस्ट के मामले में की गयी थी। याचिका में इसी को आधार बनाया गया है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा व संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष पुणो की राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी जनशक्ति नामक स्वयंसेवी संस्था के अध्यक्ष हेमंत बाबू राव पाटिल के वकील केके शर्मा व आशुतोष दुबे की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पीबी सावंत की अध्यक्षता में वर्ष 2003 में एक न्यायिक जांच शुरू की गयी थी। इसकी रिपोर्ट वर्ष 2005 में दी गयी जिसमें अन्ना हजारे के हिंदी स्वराज ट्रस्ट को विभिन्न प्रकार की अनियमितता के लिए अन्ना हजारे को दो लाख रुपए की हेराफेरी के लिए जिम्मेदार पाते हुए दोषी करार दिया गया था। याचिका में कहा गया कि अन्ना हजारे के गांव में उनका जन्मदिन मनाया गया जिसमें दो लाख रुपए का खर्च बताया गया था। याचिका में कहा गया कि अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार विरोधी जनांदोलन ट्रस्ट के कई लोग असामाजिक गतिविधियों से जुड़े हैं। बताया गया कि ये लोग सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त करने की बात कह कर ब्लैकमेलिंग व धन उगाही करने में लिप्त पाए गए हैं।


अब  सच को जानने के बाद  फेसला आपको करना हे आप देश विरोधी और सत्ता लोभियों के दलाल  अन्ना के साथ है या देश के........????????
जनहित में जारी
जय हिंद

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