भारत का मुसलमान कभी भी दहशतगर्द नही रहा न तो दहशतगर्द है वह तो बस मनुवादियो और ब्राह्मणवादीयो के षड्यंत्र का शिकार है / आज तक इस देश मे जितने भी बम विस्फोट हुये है अगर निष्पक्ष जांच करवा दी जाये तो सब कुछ खुल कर जनता के सामने आ जायेगा
1- मालेगाँव का बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
2- अजमेर दरगाह का बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
3- मक्का मस्जिद का बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
4- समझौता एक्सप्रेस का बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
5- नांदेड में संघ कार्यकर्ता राजकोंडवार के घर में बम बनाते हुए विस्फोट, जिसमें दो बजरंग दल के कार्यकर्ता मारे गए थे और पुलिस ने वहा से नकली दाड़ी और शेरवानी , कुरता , पायजामा भी बरामद किया था
6- गोरखपुर का सिलसिलेवार बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
7- मुंबई ट्रेन बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
8- घाटकोपर में बेस्ट की बस में हुए बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
9- वाराणसी बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
10- कानपुर बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
निष्कर्ष
1- मालेगाँव का बम विस्फोट
लेफ़्टिनेंट कर्नल श्रीकांत, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर,
2- अजमेर दरगाह का बम विस्फोट
स्वामी असीमानंद , इंद्रेश कुमार (आरएसएस के वरिष्ठ नेता), देवेंद्र गुप्ता, साध्वी प्रज्ञा सिंह, सुनील जोशी, संदीप डांगे, रामचंद्र कलसांगरा उर्फ रामजी, शिवम धाक़ड, लोकेश शर्मा, समंदर , योगी आदित्यनाथ
3- मक्का मस्जिद का बम विस्फोट
स्वामी असीमानंद एन्ड कंपनी
4- समझौता एक्सप्रेस का बम विस्फोट
स्वामी असीमानंद एन्ड कंपनी
5- नांदेड बम विस्फोट
संघ कार्यकर्ता राजकोंडवार
6- गोरखपुर का सिलसिलेवार बम विस्फोट
पुलिस ने कलकत्ता के एक आफ़ताब आलम अन्सारी है, को गिरिफतार किया था बाद मे कोर्ट से बा ईज्जत रिहा हुये
7- मुंबई ट्रेन बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
आज तक सच सामने नही आया
8- घाटकोपर में बेस्ट की बस में हुए बम विस्फोट
आज तक सच सामने नही आया
9- वाराणसी बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
आज तक सच सामने नही आया
10- कानपुर बम विस्फोट
बजरंग दल कार्यकर्ता , भूपेन्द्र सिंह छावड़ा और राजीव मिश्रा
इन सभी बम विस्फोटो के पिछे कौन लोग थे और हमारी पुलिस और जाचं एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किये गये बेकसुर मुसलमान
यह RSS के द्वारा षड्यंत्र है मुसलिम नौजवानो का कैरियर तबाह करने का
अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर 2007 में हुए विस्फोट में संघ के सह प्रचारक इन्द्रेश कुमार, अभिनव भारत संगठन के मुखिया स्वामी असीमानंद, जय वन्देमातरम् की मुखिया साध्वी प्रज्ञा सिंह, सुनील जोशी, संदीप डांगे, राम चन्द्र कलसंगारा उर्फ़ राम जी, शिवम धाकड़, लोकेश शर्मा, समंदर और देवेन्द्र गुप्ता सहित कई हिन्दुवत्व वादी संगठनों के नेताओं के नाम आये हैं।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जो देश में अपने को बहुसंख्यक हिन्दुओं का संगठन मानता है, उसकी स्थापना 1925 में हुई थी । लेकिन आज तक यह संगठन इस देश की बहुसंख्यक हिन्दू आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाया है इसलिए इसने अपने प्रचार तंत्र के माध्यम से दूसरे धर्मों के अनुयायियों के प्रति घृणा का उग्र प्रचार किया है और इससे अपने आनुवांशिक संगठनों के माध्यम से दंगे-फसाद करने का कार्य पूरे देश में नियोजित तरीके से किया है । अपने स्थापना काल से ही 1947 तक ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ चले आन्दोलन में संघ परिवार का कोई भी व्यक्ति जेल नहीं गया था और ब्रिटिश साम्राज्यवाद की समय-समय पर संघ परिवार मदद करता रहा है । संघ ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या से लेकर उड़ीसा, गुजरात, दिल्ली, यू.पी, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश में नरमेध कार्यक्रम जारी रखा है । जब इतने प्रयासों के बाद भी इस संगठन को बहुसंख्यक हिन्दू जनता का प्रतिनिधित्व नहीं मिला तो इसने आतंकवाद का ही सहारा लिया, महाराष्ट्र के नांदेड कस्बे में इसके कार्यकर्ता खतरनाक आयुध बनाते समय विस्फोट हो जाने से मारे गए । दूसरी तरफ यू.पी के कानपुर में भी बजरंग दल के कार्यकर्ता बम बनाते समय मारे गए ।
6 अप्रैल 2006 में नांदेड में हुए बम विस्फोट में 5 लोग पकड़े भी गए जब पुलिस ने आर.एस.एस के लोगों के घरों पर छापे डाले तो छापे में मुसलमानों जैसी ड्रेस, नकली दाढ़ी, बरामद हुई जिसका उपयोग वे मस्जिद पर हमले करने की योजना बनाते समय करते थे । जिससे साम्प्रदायिक दंगे भड़के । नांदेड बम कांड के आरोपियों ने यह भी खुलासा किया था कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, दक्षिण भारत में आतंकी नेटवर्क बनाकर आतंकवाद का सहारा ले रहा है ।
हिन्दू व हिन्दुत्व आतंकवाद ने देश को गृह युद्ध में झोंकने के लिए आर.एस.एस के इन्द्रेश ने मोहन राव भागवत की हत्या का षड्यंत्र रचकर पूरे देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी दुष्प्रचार के तहत ( यदि षड्यंत्र कामयाब हो जाता ) पूरे देश में अल्पसंख्यकों के विनाश की तैयारी कर ली गयी थी । मालेगांव बम विस्फोट के आरोपियों के बयानों में यह भी आया है कि आर.एस.एस के उच्च पदस्थ अधिकारी इन्द्रेश ने पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी आई.एस.आई से तीन करोड़ रुपये लिए थे । पाकिस्तान की कुख्यात खूफिया एजेंसी आई.एस.आई को एक समय में भारत विरोधी कार्यों के लिए सी.आई.ए ने उन्हें बाकायदा प्रशिक्षण देने के साथ आर्थिक मदद की थी । सन् 1947 में भारत ब्रिटिश साम्राज्यवाद से मुक्त हुआ था और दुनिया में ब्रिटिश साम्राज्यवाद कमजोर होने की वजह से अमेरिकन साम्राज्यवाद का उदय हुआ था ।
अगर इन सभी बम विस्फोटो कि निष्पक्ष जांच बिना पछपात के करा दि जाये तो तभी तभी दूध का दूध और पानी का पानी होगा
आज भी बड़ी संख्या में मुस्लिम युवक ऐसे आतंकी हमलों के सिलसिले में सलाखों के पीछे हैं, जिन हमलों की जिम्मेदारी असीमानंद एंड कंपनी ने ले ली है। क्या सरकार, पुलिस की पूर्वाग्रहग्रस्त व गलत जाँच प्रक्रिया के कारण इन युवकों के साथ हुए अन्याय व अत्याचार की भरपाई करेगी? यह माँग की जा रही है कि वे तुरंत रिहा हों और उन्हें मुआवजा भी मिले। सरकार को इन माँगों के संबंध में जल्दी से जल्दी निर्णय लेना चाहिए
हर भारतीय नागरिक, जो प्रजातांत्रिक समाज और मानवाधिकारों का हामी है, उसे अपने समान विचार वाले अन्य लोगों के साथ संयुक्त मोर्चा बनाकर धर्म-आधारित राष्ट्रवाद का मुकाबला करना चाहिए। चाहे वे स्वामी असीमानंद हों या आमिर अजमल कसाब , अफजल गुरू ये सभी धर्म की चाशनी में लिपटे आतंकवाद के पोषक हैं
मुल्क के मुख्तलिफ हिस्सों में अनसुलझी आतंकवादी घटनाओं का छूटा हुआ सिरा पकड़ा जा सकता है. बस जरूरत इस बात की है कि मुल्क को तोड़ने वाली ऐसी ताकतों की साजिशों का मुकाबला सभी धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दल दलगत राजनीति से ऊपर उठकर करें. क्योंकि देश हित से बड़ा कुछ भी नहीं है.
जय हिंद
inqlaab zindabad
http://www.facebook.com/note.php?note_id=199956433392409

2- अजमेर दरगाह का बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
3- मक्का मस्जिद का बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
4- समझौता एक्सप्रेस का बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
5- नांदेड में संघ कार्यकर्ता राजकोंडवार के घर में बम बनाते हुए विस्फोट, जिसमें दो बजरंग दल के कार्यकर्ता मारे गए थे और पुलिस ने वहा से नकली दाड़ी और शेरवानी , कुरता , पायजामा भी बरामद किया था
6- गोरखपुर का सिलसिलेवार बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
7- मुंबई ट्रेन बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
8- घाटकोपर में बेस्ट की बस में हुए बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
9- वाराणसी बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
10- कानपुर बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
निष्कर्ष
1- मालेगाँव का बम विस्फोट
लेफ़्टिनेंट कर्नल श्रीकांत, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर,
2- अजमेर दरगाह का बम विस्फोट
स्वामी असीमानंद , इंद्रेश कुमार (आरएसएस के वरिष्ठ नेता), देवेंद्र गुप्ता, साध्वी प्रज्ञा सिंह, सुनील जोशी, संदीप डांगे, रामचंद्र कलसांगरा उर्फ रामजी, शिवम धाक़ड, लोकेश शर्मा, समंदर , योगी आदित्यनाथ
3- मक्का मस्जिद का बम विस्फोट
स्वामी असीमानंद एन्ड कंपनी
4- समझौता एक्सप्रेस का बम विस्फोट
स्वामी असीमानंद एन्ड कंपनी
5- नांदेड बम विस्फोट
संघ कार्यकर्ता राजकोंडवार
6- गोरखपुर का सिलसिलेवार बम विस्फोट
पुलिस ने कलकत्ता के एक आफ़ताब आलम अन्सारी है, को गिरिफतार किया था बाद मे कोर्ट से बा ईज्जत रिहा हुये
7- मुंबई ट्रेन बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
आज तक सच सामने नही आया
8- घाटकोपर में बेस्ट की बस में हुए बम विस्फोट
आज तक सच सामने नही आया
9- वाराणसी बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
आज तक सच सामने नही आया
10- कानपुर बम विस्फोट
बजरंग दल कार्यकर्ता , भूपेन्द्र सिंह छावड़ा और राजीव मिश्रा
इन सभी बम विस्फोटो के पिछे कौन लोग थे और हमारी पुलिस और जाचं एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किये गये बेकसुर मुसलमान
यह RSS के द्वारा षड्यंत्र है मुसलिम नौजवानो का कैरियर तबाह करने का
अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर 2007 में हुए विस्फोट में संघ के सह प्रचारक इन्द्रेश कुमार, अभिनव भारत संगठन के मुखिया स्वामी असीमानंद, जय वन्देमातरम् की मुखिया साध्वी प्रज्ञा सिंह, सुनील जोशी, संदीप डांगे, राम चन्द्र कलसंगारा उर्फ़ राम जी, शिवम धाकड़, लोकेश शर्मा, समंदर और देवेन्द्र गुप्ता सहित कई हिन्दुवत्व वादी संगठनों के नेताओं के नाम आये हैं।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जो देश में अपने को बहुसंख्यक हिन्दुओं का संगठन मानता है, उसकी स्थापना 1925 में हुई थी । लेकिन आज तक यह संगठन इस देश की बहुसंख्यक हिन्दू आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाया है इसलिए इसने अपने प्रचार तंत्र के माध्यम से दूसरे धर्मों के अनुयायियों के प्रति घृणा का उग्र प्रचार किया है और इससे अपने आनुवांशिक संगठनों के माध्यम से दंगे-फसाद करने का कार्य पूरे देश में नियोजित तरीके से किया है । अपने स्थापना काल से ही 1947 तक ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ चले आन्दोलन में संघ परिवार का कोई भी व्यक्ति जेल नहीं गया था और ब्रिटिश साम्राज्यवाद की समय-समय पर संघ परिवार मदद करता रहा है । संघ ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या से लेकर उड़ीसा, गुजरात, दिल्ली, यू.पी, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश में नरमेध कार्यक्रम जारी रखा है । जब इतने प्रयासों के बाद भी इस संगठन को बहुसंख्यक हिन्दू जनता का प्रतिनिधित्व नहीं मिला तो इसने आतंकवाद का ही सहारा लिया, महाराष्ट्र के नांदेड कस्बे में इसके कार्यकर्ता खतरनाक आयुध बनाते समय विस्फोट हो जाने से मारे गए । दूसरी तरफ यू.पी के कानपुर में भी बजरंग दल के कार्यकर्ता बम बनाते समय मारे गए ।
6 अप्रैल 2006 में नांदेड में हुए बम विस्फोट में 5 लोग पकड़े भी गए जब पुलिस ने आर.एस.एस के लोगों के घरों पर छापे डाले तो छापे में मुसलमानों जैसी ड्रेस, नकली दाढ़ी, बरामद हुई जिसका उपयोग वे मस्जिद पर हमले करने की योजना बनाते समय करते थे । जिससे साम्प्रदायिक दंगे भड़के । नांदेड बम कांड के आरोपियों ने यह भी खुलासा किया था कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, दक्षिण भारत में आतंकी नेटवर्क बनाकर आतंकवाद का सहारा ले रहा है ।
हिन्दू व हिन्दुत्व आतंकवाद ने देश को गृह युद्ध में झोंकने के लिए आर.एस.एस के इन्द्रेश ने मोहन राव भागवत की हत्या का षड्यंत्र रचकर पूरे देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी दुष्प्रचार के तहत ( यदि षड्यंत्र कामयाब हो जाता ) पूरे देश में अल्पसंख्यकों के विनाश की तैयारी कर ली गयी थी । मालेगांव बम विस्फोट के आरोपियों के बयानों में यह भी आया है कि आर.एस.एस के उच्च पदस्थ अधिकारी इन्द्रेश ने पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी आई.एस.आई से तीन करोड़ रुपये लिए थे । पाकिस्तान की कुख्यात खूफिया एजेंसी आई.एस.आई को एक समय में भारत विरोधी कार्यों के लिए सी.आई.ए ने उन्हें बाकायदा प्रशिक्षण देने के साथ आर्थिक मदद की थी । सन् 1947 में भारत ब्रिटिश साम्राज्यवाद से मुक्त हुआ था और दुनिया में ब्रिटिश साम्राज्यवाद कमजोर होने की वजह से अमेरिकन साम्राज्यवाद का उदय हुआ था ।
अगर इन सभी बम विस्फोटो कि निष्पक्ष जांच बिना पछपात के करा दि जाये तो तभी तभी दूध का दूध और पानी का पानी होगा
आज भी बड़ी संख्या में मुस्लिम युवक ऐसे आतंकी हमलों के सिलसिले में सलाखों के पीछे हैं, जिन हमलों की जिम्मेदारी असीमानंद एंड कंपनी ने ले ली है। क्या सरकार, पुलिस की पूर्वाग्रहग्रस्त व गलत जाँच प्रक्रिया के कारण इन युवकों के साथ हुए अन्याय व अत्याचार की भरपाई करेगी? यह माँग की जा रही है कि वे तुरंत रिहा हों और उन्हें मुआवजा भी मिले। सरकार को इन माँगों के संबंध में जल्दी से जल्दी निर्णय लेना चाहिए
हर भारतीय नागरिक, जो प्रजातांत्रिक समाज और मानवाधिकारों का हामी है, उसे अपने समान विचार वाले अन्य लोगों के साथ संयुक्त मोर्चा बनाकर धर्म-आधारित राष्ट्रवाद का मुकाबला करना चाहिए। चाहे वे स्वामी असीमानंद हों या आमिर अजमल कसाब , अफजल गुरू ये सभी धर्म की चाशनी में लिपटे आतंकवाद के पोषक हैं
मुल्क के मुख्तलिफ हिस्सों में अनसुलझी आतंकवादी घटनाओं का छूटा हुआ सिरा पकड़ा जा सकता है. बस जरूरत इस बात की है कि मुल्क को तोड़ने वाली ऐसी ताकतों की साजिशों का मुकाबला सभी धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दल दलगत राजनीति से ऊपर उठकर करें. क्योंकि देश हित से बड़ा कुछ भी नहीं है.
जय हिंद
inqlaab zindabad
http://www.facebook.com/note.php?note_id=199956433392409
बेहद अच्छी ,आँखे खोल देने वाली रपट ! इसके पोस्टर बनाकर गली-गली चिपकाएँ जाने चाहिए ! शुक्रिया आफताब साथी !
जवाब देंहटाएंji haa aap ki sari baat sahi hai lekin yeh batay afzal guru aur ajmal amir kasab ki bare mai yeh batay in ke bare mai aap ke paas koi pukhta saboot hai ki aap inko terrorist kah rahe ho............. tafseel bayan karen ................. mai janne ka kwahish mand hu..............
जवाब देंहटाएंbas ab hume aise hi sara bhanda kholna hai inlogo ka aisi hi sari sachai samne lakar
जवाब देंहटाएंसेकुलर आतंकवाद !
जवाब देंहटाएंसेकुलरिज्म ,सम्प्रदायवाद और आतंकवाद यह सब शब्द लोगों की विचारधारा और उनके सोचने के ढंग से सम्बंधित है .अभी तक सेकुलरिज्म को सम्प्रदायवाद का विपरीत शब्द (opposit ) माना जाता है .लेकिन समय के साथ सेकुलरिज्म शब्द आतंकवाद का पर्यायवाची बनता जा रहा है ..इस बात को और स्पष्ट करने के लिए हमें शब्दों के अर्थ और अभिप्राय को ठीक से समझना जरुरी है ,क्योंकि इनका हमारे अस्तित्व और देश की अखंडता से बड़ा गहरा सम्बन्ध है .यहाँ हम एक एक शब्द के बारे में समझते है -
1 -आतंकवाद
इस विचार के लोग दूसरों पर अपनी बात बलपूर्वक मनवाने में विश्वास रखते है ,चाहे वह धार्मिक विषय हो या राजनीतिक विश्हय हो .यह लोग हमेशा खुद को सही और दूसरों को गल़त मानते हैं ,इनका एकमात्र उद्देश्य देश में अस्थिरता ,और भय का वातावरण बनाये रखना है .ताकि देश की एकता खंडित हो जाये .इस समय देश में नक्सली जैसे और कई आतंकी संगठन कार्यरत है .जो निर्दोष लोगों की हत्या को अपना धर्म समझते. लेकिन कुछ ऐसे आतंकी गिरोह है जिनके आका देश के बाहर हैं ,और उनके गुर्गे यहाँ आतंकी कार्य करते रहते हैं लेकिन सब की कार्यविधि और लक्ष्य एक ही है ,भारत को नुकसान पहुचना ,और दहशत फैलाना .ऐसे लोग अपने कुत्सित इरादों की पूर्ति के लिए निर्दोषों को बम से उड़ने में नहीं झिझकते है ,
हमारा कर्तव्य है ऐसे लोगों पर नजर रखे और इनकी जानकारी सम्बंधित अधिकारीयों को जरुर दे दें
2-सम्प्रदायवाद
भारत में अनेकों धर्म ,संप्रदाय और मत पैदा हुए हैं जो मिलजुल कर रहते आये हैं सविधान के अनुसार सबको अपने धर्म का पालन करने और उसका प्रचार करने का अधिकार है .लेकिन किसी को छल से या जबरन अपना विचार थोपने कोई अधिकार नहीं है .चाहे वह धार्मिक विचार क्यों न हो .ऐसा करने से ही सम्प्रदायवाद का जन्म होता है .चाहे कितनी भी अच्छी बात हो वह किसी को बलपूर्वक मनवाना उचित नहीं है
कुछ लोग सिर्फ इस्लाम को सम्प्रदायवाद से जोड़कर देखते है ,तो उन्हें समझना चाहिए ईसाई और दुसरे लोग भी उन से कम नहीं हैं .खुसी की बात यह है कि कुछ इस्लामी देशों में भी ऐसे अनेकों प्रगतिशील सुधारवादी संगठन बन गए हैं जो रुढ़िवादी ,आतंकी विचारों का विरोध करते है ,निश्चय ही यह शुभ संकेत है .
3-सेकुलरिज्म या धर्मसमभाव
सेकुलरिज्म विदेश से आयातित शब्द है . कानूनी तौर से इसका अर्थ "धर्मनिरपेक्षता " रख दिया है ,जो पूरी तरह से भ्रामक आशयविहीन लगता है . भारत की किसी भी भाषा के साहित्य को खोज कर देखिये यह शब्द कहीं नहीं मिलेगा .आपको प्राचीन पुस्तकों में केवल धार्मिक और अधर्मी शब्द ही मिलेंगे .फिर भी कुछ लोगों ने " सेकुलरिज्म ' के यह अर्थ किये है ,जैसे "सर्वधर्मसमभाव " पंथ निरपेक्षता " आदि ,
यदि सेकुलरिज्म का आशय सभी धर्मों ,पंथों ,और मतों का सामान रूप से सम्मान और आदर करना है ,तो भारत का हरेक हिन्दू , सिख ,जैन ,और बौद्ध स्वाभाविक रूप से सेकुलर है . आज भी हिन्दू दरगाहों ,मजारों , पर जाते हैं और गुरद्वारों ,बुद्ध ,जैन मंदिर में जाते ,सबी एक दूसरों के त्योहारों में शामिल होते है ,फिर कानून बना कर लोगों को सेकुलर बनाने की जरुरत क्यों पड़ गई .
बताइये क्या तोते (PArrot ) पर हरा रंग पोतने की जरुरत होती है ?
निश्चय ही यह एक राजनीतिक षडयंत्र है .यदि जरुरत होती तो संविधान के निर्माता डा ० बाबा साहेब अम्बेडकर संविधान में सेकुलर शब्द पहले ही लिख देते . इसके लिए हमें कांगरेसी सेकुलरिज्म को समझना होगा .
आपने लिखा हे
हटाएंकुछ ऐसे आतंकी गिरोह है जिनके आका देश के बाहर हैं ,और उनके गुर्गे यहाँ आतंकी कार्य करते रहते हैं लेकिन सब की कार्यविधि और लक्ष्य एक ही है ,भारत को नुकसान पहुचना ,और दहशत फैलाना .ऐसे लोग अपने कुत्सित इरादों की पूर्ति के लिए निर्दोषों को बम से उड़ने में नहीं झिझकते है ,
आपकी ये बात सही हे क्योकि
कुछ ऐसे आतंकी गिरोह है जिनके आका देश के बाहर हैं ,और उनके गुर्गे यहाँ आतंकी कार्य करते रहते हैं लेकिन सब की कार्यविधि और लक्ष्य एक ही है ,भारत को नुकसान पहुचना ,और दहशत फैलाना .ऐसे लोग अपने कुत्सित इरादों की पूर्ति के लिए निर्दोषों को बम से उड़ने में नहीं झिझकते है
4 -कांग्रेसी सेकुलरिज्म
जवाब देंहटाएंवास्तव में सरकारी सेकुलरिज्म का तात्पर्य " तुष्टिकरण " है in fact, official secularism means "appeasement"
यह बात किसी से भी छुपी नहीं है कि कान्ग्रेसिओं दिल में हिन्दू विरोधी मानसिकता कूट कूट कर भरी हुई है ,जिसे यह यदाकदा प्रकट भी कर देते है , दिग्विजय सिंह इसका एक उदहारण है . इसी सेकुलरिज्म का सिद्धांत है ,एक समुदाय को खुश करने के लिए हिन्दुओं को जितना बदनाम ,प्रताड़ित करोगे उस समुदाय के उतने ही वोट अधिक मिलेंगे .क्योंकि यह घाघ नेता जानते हैं कि अल्प संख्यक लोग थोक में वोट देते है .यह सरकारी सेकुलर जानते हैं कि अगर सत्ता पर कोई खतरा है ,तो वह हिन्दुओं की एकता से है ,इसलिए किसी न किसी तरह से हिन्दू एकता को भंग किया जाये ,जब भी हिन्दू एक होने लगें उनको कोई न कोई आरोप लगा कर अन्दर कर दिया जाये .आज इन सेकुलरों में हिन्दुओं को गलियां देने की होड़ सी लग रही है .और जो हिन्दू संस्थाओं ,संतों को जितनी अधिक गलियाँ वह उतना बड़ा सेकुलर माना जायेगा
5-सेकुलर आतंकवाद
आप देख चुके हैं ,कि जैसे हर प्रकार का आतंकवाद ,और सम्प्रदायवाद का मुख्य उद्देश्य देश में अस्थिरता और अव्यवस्था फैलाना है .आज यही काम सोनिया जी की सरकार करने वाली है.अपनी इसी इच्छा को पूरी करने के लिए सोनिया ने अपनी सलाहकार मंडली में चुन चुन कर ऐसे सेकुलरों को शामिल किया है ,को हिन्दू विरोध के लिए कुख्यात हैं ,इनने हर्ष मंदर ,तीस्ता सीतलवाड ,सय्यद शहाबुद्दीन ,शबनम हाशिमी जी लोग शामिल है .फिर इन्ही जैसे लोगो की सलाह से सेकुलर देवी सोनिया जी ने 2011में एक " सांप्रदायिक लक्षित हिंसा विरोधी अधिनियम ' सरकार की बिना सहमति के पेश कर दिया .सब जानते हैं कि सोनिया कट्टर कैथोलिक ईसाई है ,और पोप की पक्की अनुयायी है .इन्ही पोपों ने protastant ईसाइयों सिर्फ इस बात पर जिन्दा जलवा दिया था क्योंकि वह बाइबिल की उस व्याख्या से सहमत नहीं थे ,जो तत्कालीन पोप करते थे ,पोपों का यह दमन चक्र सदियों चलता रहा था .अब सोनिया अपने पापं की यही निति भारत में लागु करना चाहती है .
यदि यह अधिनियम पारित हो गया तो हिन्दुओं के लिए सिर्फ यही विकल्प होंगे ,ईसाई या मुसलमान बन जाएँ ,देश से पलायन कर जाएँ या फिर जेलों में चक्की पीसें ,केवल पांच साल में हिन्दू विलुप्त प्रजाति बन जायेंगे ,क्योकि इस अधिनियम यही प्रावधान दिए गए हैं .इस विधेयक में कुल 9 अध्याय और 138 धाराएँ हैं ,जिनमे कुछ IPCC और CRPC से ली गयी हैं .यह भारत का पहला अधिनियम है जो नागरिकों को जाती के आधार पर सजा देने की वकालत करता है .और्यः मन कर चलता है कि हिन्दू स्वभाव से आक्रामक और हिंसक होते हैं और हिन्दू ही सबसे पहले दंगे करवाते हैं , साफ है कि सोनिया इस विधेयक के सहारे अपने (कु ) सुपुत्र और फिर उसकी संतानों को हमेशा के लिए भारत पर राज करने का रास्ता बना रही है .
.दिग्विजय सिंह कई बार यह बात उगल चुके है ,इसी लिए उनके निशाने पर हिन्दू संत और संगठन बने रहते हैं .बहुत से लोगों को इस अधिनियम का पूरा ज्ञान नहीं होगा ,इसलिए इसके कुछ चुने हुए बिंदु प्रस्तुत किये जा रहे है ,ताकि अभी से सावधान हो जाएँ और अपना भविष्य इस सेकुलर आतंकवाद से बचा सकें .इस अधिनियम के प्रावधान देखिये .-
1.दंगे के समय बिना किसी जांच पड़ताल के किसी भी हिन्दू को गिरफ्तार किया जा सकता .
जवाब देंहटाएं2 -हिन्दू तब तक अपराधी माना जाएगा ,जब तक वह खुद को निर्दोष सिद्ध नहीं कर देता .
3 -यदि किसी हिन्दू संगठन के किसी कार्यकर्ता के विरुद्ध कोई अल्पसंख्यक शिकायत करता है ,तो वह पूरा संगठन दोषी माना जाएगा
4-.यदि किसी प्रांत की विरोधी दल की सरकारकी पुलस संप्रदायी दंगे रोकने के हिन्दुओं को गिरफ्तार करने में असफल होती है ,तो उस सरकार को बरखास्त किया जा सकता है .
5 -भारत के बंगलादेशी घुसपैठियों को निकालने की मांग करना ,और जबरन धर्म परिवर्तन करने का विरोध करना भी अपराध होगा .
6 -यदि किसी हिन्दू का मकान या दुकान किराये के लिए उपलब्ध हो ,और वह किसी अल्पसंख्यक को किराये पर देने से इंकार करे ,तो वह हिन्दू स्वामी अपराधी माना जाएगा .
7-यदि कोई अल्पसंख्यक किसी हिन्दू की खाली जमीन पर कब्र ,दरगाह या मस्जिद बना दे तो उस भूमि को खाली नहीं कराया जा सकता ,और विरोध करने पर हिन्दू भूमिस्वामी को सजा दी जा सकती है .
8 -दंगे के दौरान मारे गए हिन्दू के आश्रितों को मुआवजा नहीं दिया जायेगा .
9 -यदि कोई अल्पसंखक किसी हिन्दू लड़की को प्रेमजाल में फंसा ले ,और लड़की के माँ बाप से शादी करने को कहे ,और लड़की के माता पिता ऐसी शादी से मना करें ,तो वह दण्डित होंगे ,चाहे लड़की अवयस्क क्यों न हो.
10-जिन संस्थाओं और संगठनों के नाम में हिन्दू शब्द होगा उनकी मान्यता निरस्त हो जाएगी .
11 -आतंकवादिओं के विरुद्ध आवाज उठाना ,और उनको सजा देने की मांग करना ,एक समुदाय को पीड़ा देने वाला कृत्य मना जायेगा .और ऐसा करने वालों को सजा दी जाएगी .
बताइए यह सेकुलर आतंकवाद नही है तो और क्या है ?.एक तरफ हमारे प्रधान मंत्री पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को "शांति पुरुष " कहके उसका सम्मान करते है ,और परोक्ष रूप से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर चुप रहते हैं ,इसे हम क्या कहेंगे ? क्या यही सेकुलरिज्म है ? आप विचार करिये कि एक तरफ वह आतंकवादी हैं जो बिना किसी धर्म और जाति का भेद करके सौ पचास लोगों को अपना निशाना बनाते हैं ,और दूसरी तरफ यह सेकुलर हैं जो चुन कर सिर्फ सभी हिन्दुओं पूरे समूह को समाप्त करने की तय्यारी कर रहे हैं .बताइए ,
हम इन सेकुलरों को सबसे बड़ा आतंकवादी क्यों नहीं मानें ?
(नोट -यह लेख प्रसिद्ध लेखक और आलोचक श्री वीरेन्द्र सिंह परिहार के लेख से प्रेरित है ,जो 8 नव 2011 को दैनिक जागरण पेपर में प्रकाशित हुआ था )