पिछले दिनों हमारा देश तीसरी आर्थिक महाशक्ति के रूप में आ चूका हे अमेरिका जेसे विकसित देश के लोग हमारे देश में रोज़गार के अवसर तलाश रहे हैं जबकि दूसरी और हमारे देश की ज़मीनी हकीकत कुछ और बात बयान कर रही हे देश की संसकिरती से जुडी हमारी उत्पादन क्षमता घट रही हे एक और हम टेक्नोलोजी में ज़बरदस्त कामयाबी हासिल कर रहे हे तो दूसरी तरफ हम चीन के आसपास भी नही हे आज विश्व बाज़ार में चीन का वर्चस्व कायम हे चाहे वो कितना ही घटिया उत्पाद बेचे लेकिन उसकी मार्केट नही टूट रही हे और चीन में माल का उत्पादन खूब हो रहा हे और उसकी खपत भी हो रही हे जिससे चीनी लोगो को रोज़गार मिल रहा हे दूसरी और हम हे हमारे देश में माल का उत्पादन इतना कम हो रहा हे की की हमे अपनी ज़रुरतो का सामान विदेशो से मगना पड रहा हे जिसकी वजह से महगाई भी बड रही हे और रोज़गार भी कम हो रहा हे कभी वक़्त था जब हम अपने यहाँ बनी चीनी को विदेश भेजते थे जिससे हमे विदेशी पूंजी मिलती थी लेकिन आज हमे चीनी भी बहार से मगानी पडड रही ह और हमारा पैसा बहार जा रहा हे सरकारों की विफलताओ के चलते हमारे किसान आतमहत्या कर रहे हे....
आज विकास की परिभाषा बदल दी गयी हे कल तक विकास का माप दंड पिरती व्यक्ति आय होती थी लेकिन आज जगमगाते शहर, उची इमारते, बड़े बड़े माल, और चोड़ी सड़के विकास का मापदंड बन चुकी हे विकास की इस अंधी दोड में हम आज गरीब आदमी को भूल चुके हे गरीब आदमी आज भी विकास के नाम पर नही जाती और धर्म के नाम पर वोट देता हे आज रौशनी से चम्कते शहर विकास की निशानी हे और इन चमकते शहरों के फुत्पाथो पर ठण्ड से ठिठुरते भूखे सोने वाले गरीब एक गंदगी से जादा कुछ नही समझे जाते आज राजनीति व्यवसाय बन चुकी हे जिसमे गरीबो के नाम पर पास होने वाला पैसा बाबुओ, नेताओ, अफसरों, मंत्रियो की जेब में जाता हे जो की गरीबी हटाने के नाम पर लिया जाता हे कागजों में कई बार पक्की बन चुकी गलियों को एक ईट भी नसीब नही होती ये एक कडुवा सच हे खुद को देश के सेवक या देश भक्त बताने वाले लोग आम जनता को धर्म और जाती के नाम पर बाँट कर गुमराह कर रहे हे ताकि आम जनता सच न जान पाए अपना हक न मांग पाए और इन बेकार के विवादों में उलझ कर आँखे बंद किये अपने बच्चो को भूख से रोता हुआ देखती रहे और ये सोचती रहे की हम तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति हे .....
राजनीति की परिभाषा हे -देश के विकास के लिए बनाये जाने वाली निति राजनिति हे लेकिन आज ये परिभाषा बदल गयी हे किसी भी कीमत पर सत्ता में आना राजनीति हे अब चाहे उसके लिए कितनी भी हिंसा करनी पड़े, ब्लास्ट करने पड़े, कत्लेआम करना पड़े या फिर मज़हबी नफरत फेला कर दो भैय्यो को जुदा कर दिया जाये और फिर कभी डराकर कभी भड़का कर उन्हें अपना वोट बैंक बनाया जाये ...
आपको नही लगता की हम इस राजनीति की साजिश का शिकार हे और इन लोगो के दलाल वो हे जो हमे धर्म के नाम पर बाटे
आज विकास की परिभाषा बदल दी गयी हे कल तक विकास का माप दंड पिरती व्यक्ति आय होती थी लेकिन आज जगमगाते शहर, उची इमारते, बड़े बड़े माल, और चोड़ी सड़के विकास का मापदंड बन चुकी हे विकास की इस अंधी दोड में हम आज गरीब आदमी को भूल चुके हे गरीब आदमी आज भी विकास के नाम पर नही जाती और धर्म के नाम पर वोट देता हे आज रौशनी से चम्कते शहर विकास की निशानी हे और इन चमकते शहरों के फुत्पाथो पर ठण्ड से ठिठुरते भूखे सोने वाले गरीब एक गंदगी से जादा कुछ नही समझे जाते आज राजनीति व्यवसाय बन चुकी हे जिसमे गरीबो के नाम पर पास होने वाला पैसा बाबुओ, नेताओ, अफसरों, मंत्रियो की जेब में जाता हे जो की गरीबी हटाने के नाम पर लिया जाता हे कागजों में कई बार पक्की बन चुकी गलियों को एक ईट भी नसीब नही होती ये एक कडुवा सच हे खुद को देश के सेवक या देश भक्त बताने वाले लोग आम जनता को धर्म और जाती के नाम पर बाँट कर गुमराह कर रहे हे ताकि आम जनता सच न जान पाए अपना हक न मांग पाए और इन बेकार के विवादों में उलझ कर आँखे बंद किये अपने बच्चो को भूख से रोता हुआ देखती रहे और ये सोचती रहे की हम तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति हे .....
राजनीति की परिभाषा हे -देश के विकास के लिए बनाये जाने वाली निति राजनिति हे लेकिन आज ये परिभाषा बदल गयी हे किसी भी कीमत पर सत्ता में आना राजनीति हे अब चाहे उसके लिए कितनी भी हिंसा करनी पड़े, ब्लास्ट करने पड़े, कत्लेआम करना पड़े या फिर मज़हबी नफरत फेला कर दो भैय्यो को जुदा कर दिया जाये और फिर कभी डराकर कभी भड़का कर उन्हें अपना वोट बैंक बनाया जाये ...
आपको नही लगता की हम इस राजनीति की साजिश का शिकार हे और इन लोगो के दलाल वो हे जो हमे धर्म के नाम पर बाटे
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