एक मित्र हमारे बीच नहीं रहे, कल उनके तीये की बैठक थी | तीन दिन पहले ह्रदयघात से उनकी मृत्यु हुई, दुखद घडी ... 5 - 6 माह पूर्व उनके पिताजी का देहांत हुआ था | अभी "xyz..." 45 -46 साल के रहे होंगे, बच्चे अभी छोटे है इस उम्र में पिता का साया उठना बहुत दुखद है | किन्तु ह्रदय को हिला देने वाली जो बात लगी... भाभीजी बार-बार ये कह कर विलाप कर रही थी की "मेरे पति को तो डोकरा/बुड्ढा (पिताजी) ले गए | बहुत चाहते थे वह अपने बेटे को उन्होंने छीन लिया मेरे पति को |" भाभीजी पढ़ी लिखी भी है किन्तु ऐसे विचारो ने उनके मन में क्यों घर कर लिया समझ में नहीं आ रहा था |
कल तीये की बैठक में "पंडित जी" ने "गरुड़ पुराण" का पाठ किया, शायद मृतक की आत्मा की शांति के लिए होता है यह पाठ | बैठक में कोमरेड, गाँधीवादी, हिन्दू व मुश्लिम लगभग सभी कम्युनिटी के लोग थे | पंडित जी ने ३०-४० मिनट का जो पाठ किया उसका सरांस यह था की जो पंडितों को भोजन नहीं करवाते, दान नहीं देते, उनके साथ अदब से पेश नहीं आते उनका ना तो इस लोक में और ना परलोक में कोई ठोर-ठिकाना नहीं होता ... उनके तो प्राण भी मुख से नहीं निकलते बल्कि गुदा द्वार से बड़े कष्ट के साथ निकलते है. यमदूत उन्हें जितने प्रकार की यातनाएं दी जा सकती है वह सब देते हुए बहुत दिनों में यमलोक पहुंचाते हैं | 12वें तक जो क्रिया कर्म होंगे उस दौरान पंडितों को जो दान-दक्षिणा देंगे उसका बहुत कम हिस्सा मृतक की आत्मा तक पहुंचेगा | और जिन्होंने बहुत बुरे काम किये है उनको औरत के रूप में जन्म लेना पड़ेगा ... जो औरतें अपने मृतक पति के साथ "सती" (जिस सामाजिक बुराई को बहुत प्रयत्नों से कानून बना कर दूर किया गया है उसे यह पाखंडी पुनरर्जीवित करने में लगा हुआ है ) नहीं होती वह तो बहुत ही पाप की भागी होती है .... !
स्थिति यह थी की हम सभी लोग तिलमिला तो रहे थे किन्तु मृतक के परिवार की स्थिति देख कर हमने खून का घूंट पीने में ही हित समझा ... भाभीजी के दिमाग में डोकरे का भुत किसने बिठाया वह भी समझ में आ गया | शायद ऐसे ही चलता है इन परजीवियों का कारोबार | यह सब आडम्बर फ़ैलाने के बाद इस "अधम" ने दक्षिणा में एक मोटी रकम भी वसूली |
अब कैसे कहूँ गर्व से की " मैं हिन्दू हूँ " , हम सब अपनी-अपनी खुशफहमी में जीते हैं, बोर्डर पर लड़ने की बात करने वाले तो फिर भी मिल जाएंगे लेकिन जिस बीमारी के साथ हमने जीना सीख लिया है उसके उपचार की बात कोई क्यों नहीं करता ? तथाकथित धर्म के ठेकेदारों ने यदि हमारी ( समाज की ) चेतना में गहरे तक बैठ गई विषबेल को उखाड़ने की कोई बात की होती तो उनका कही कोई ईमान दिखाई देता, किन्तु इस ठेकेदारों के गिरोह में तो यही लोग काम कर रहे है | समाज को डराओ, फोड़ो, लड़ाओ और राज करो ... यही मूल मंत्र है इनकी देववाणी का |
नोट :-ये पोस्ट लेख़क के निजी विचार हैं जिन्हें मेने आपके सामने लाने की कोशिश की हे ताकि हम अपनी अंतर आत्मा में झांक सके और महिलाओ को समाज में बराबरी का हक दे सके
लेखक:- योगीराज यादव
http://www.facebook.com/yogiraj.yadav
कल तीये की बैठक में "पंडित जी" ने "गरुड़ पुराण" का पाठ किया, शायद मृतक की आत्मा की शांति के लिए होता है यह पाठ | बैठक में कोमरेड, गाँधीवादी, हिन्दू व मुश्लिम लगभग सभी कम्युनिटी के लोग थे | पंडित जी ने ३०-४० मिनट का जो पाठ किया उसका सरांस यह था की जो पंडितों को भोजन नहीं करवाते, दान नहीं देते, उनके साथ अदब से पेश नहीं आते उनका ना तो इस लोक में और ना परलोक में कोई ठोर-ठिकाना नहीं होता ... उनके तो प्राण भी मुख से नहीं निकलते बल्कि गुदा द्वार से बड़े कष्ट के साथ निकलते है. यमदूत उन्हें जितने प्रकार की यातनाएं दी जा सकती है वह सब देते हुए बहुत दिनों में यमलोक पहुंचाते हैं | 12वें तक जो क्रिया कर्म होंगे उस दौरान पंडितों को जो दान-दक्षिणा देंगे उसका बहुत कम हिस्सा मृतक की आत्मा तक पहुंचेगा | और जिन्होंने बहुत बुरे काम किये है उनको औरत के रूप में जन्म लेना पड़ेगा ... जो औरतें अपने मृतक पति के साथ "सती" (जिस सामाजिक बुराई को बहुत प्रयत्नों से कानून बना कर दूर किया गया है उसे यह पाखंडी पुनरर्जीवित करने में लगा हुआ है ) नहीं होती वह तो बहुत ही पाप की भागी होती है .... !
स्थिति यह थी की हम सभी लोग तिलमिला तो रहे थे किन्तु मृतक के परिवार की स्थिति देख कर हमने खून का घूंट पीने में ही हित समझा ... भाभीजी के दिमाग में डोकरे का भुत किसने बिठाया वह भी समझ में आ गया | शायद ऐसे ही चलता है इन परजीवियों का कारोबार | यह सब आडम्बर फ़ैलाने के बाद इस "अधम" ने दक्षिणा में एक मोटी रकम भी वसूली |
अब कैसे कहूँ गर्व से की " मैं हिन्दू हूँ " , हम सब अपनी-अपनी खुशफहमी में जीते हैं, बोर्डर पर लड़ने की बात करने वाले तो फिर भी मिल जाएंगे लेकिन जिस बीमारी के साथ हमने जीना सीख लिया है उसके उपचार की बात कोई क्यों नहीं करता ? तथाकथित धर्म के ठेकेदारों ने यदि हमारी ( समाज की ) चेतना में गहरे तक बैठ गई विषबेल को उखाड़ने की कोई बात की होती तो उनका कही कोई ईमान दिखाई देता, किन्तु इस ठेकेदारों के गिरोह में तो यही लोग काम कर रहे है | समाज को डराओ, फोड़ो, लड़ाओ और राज करो ... यही मूल मंत्र है इनकी देववाणी का |
नोट :-ये पोस्ट लेख़क के निजी विचार हैं जिन्हें मेने आपके सामने लाने की कोशिश की हे ताकि हम अपनी अंतर आत्मा में झांक सके और महिलाओ को समाज में बराबरी का हक दे सके
लेखक:- योगीराज यादव
http://www.facebook.com/yogiraj.yadav
bahut umda lekh hai...........aise dharm ke thekedaro ka samajik bahiskar karna atyant jaroori hai..........aise logo ki kurition ka hi asar hamare samaj ko buri tarah pravabhit kar rahihai........bahut accha udaharn prastut kiya hai apne......aage bhi karte rahe ....dhanyawaad
जवाब देंहटाएंyr mai to aap k blog page ko bilkul GHATIYA kahunga kyo ki dhram koi bhi ho kuch na kuch kamiya sabhi may hoti hai
जवाब देंहटाएंaur aap no yaha par ap[nay ghatiya gyaan dikhaa rahay ho
nihaayat hi bakwaas aur vaahiyaat artical hai yai
All lines are right.
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा लेख, बधाई को योगीराज यादव जी लेख लिखने के लिए और बधाई ही आफताब फाजिल जी पोस्ट करने के लिए
जवाब देंहटाएंLekh Accha hai kintu is lekha ko prasarit karne wale Mahashay ko mera anurodha hai ki "Krupaya aap Pahele Apane Aangan ka kachara saf kare baad me Dusaron ke aangan me zankiye....
जवाब देंहटाएंHindu Dharm ki buri chij samane lane se pehele aap Khud ke Dharm ke khilaf kyo nahi likhate kuch, jisme hajaro Kamiya hai, hajaro buraiya hai...pahele waha dur kare bad me dusare dharma ke bareme soche"
...Dnahyawaad....
isee kureeti se ladna h hum sabko . . . . .
जवाब देंहटाएंHa,Ha,Ha,Ha.Yogiraj ji.Aftab ji bahut hi badiya lekh. Satya bahut kadvaa hota hai,Dekhe nahi ? uopar likhe Prtibhav mere khiyal se kuch log apni dukane chalaane ke liye samaj ke logo ko dharam ki tekedaari se alag karna nahi cahte yaa u kaho apne pet or swarth ke liye jis tarah yogijine apne lekh mai likha hai logo ko daraavo dhamkaavo ladaavo fodo or raaj karo,ek baat aur kisi ne kahaa ke lekh ko prakasit karne wale mahaasay se anurodh hai ki pahle apne Aagan kaa kacharaa saaf kare to mai kahugaa puraa bharat desh hamara Aagan hai or sabhi log fir caahe wo hindu ho yaa muslim sabhi ko eaise Aartical se sabak lene ki jarurat hai sirf hindu o ke pandaa hi nahi muslimo ke pet bharu mullao aur baapu o ko bi ham kahte Aaye huve hai aur kahte Rahenge
जवाब देंहटाएंdosto mujhe apane hindu hone par behad garv hai kyonki ham apani acchhaiyo par garv kar sakte hain to buraaiyo par swatantrata purvak aavaj bhi utha sakte hain.
जवाब देंहटाएंmai un logo ki kya bat karu jo dharm ya kom ke khilaf uthi ek aavaj par uski sat pusto ki bolti band kar dete hai, chahe wah unke apane hi samuday se hi kyo na ho.
isliye mitro padosi ki gandagi par tippani karne se pahale yah avashy dekh le ki apana angan to saf hai na ???
Jai Hind, Jai Bharat.
bahut shandar aise hi aur jankari dete rahe
जवाब देंहटाएंAftab Fazil aap Hindusthani Musalman nahi ho Mai garva sath suzav dena chahunga ki Aap BHARAT (INDIA) ke MUSALMAN ho. Jab garv se ham hindu nahi kah sakate to AAP hindusthani?
जवाब देंहटाएंसही बात उजागर कियी है.. धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंYe mat dekho kaun kah raha hai ye dekho kya kah raha hai
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