राम किशन यादव उर्फ योग गुरु बाबा के अनुसार उन्होंने 16 साल में 1177 करोड रूपये कमाये है जो आश्चर्यजनक है ये बात उन्हें योगगुरु कि जगह एक व्यापारी के तोर पर पेश करती हैं अब तक बाबा रामदेव काले धन के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते रहे हैं, लेकिन तहलका मैगजीन ने एक रिपोर्ट के जरिए उन्हें और उनके ट्रस्टों को कठघरे में खड़ा कर दिया है। तहलका मैगजीन की रिपोर्ट में रामदेव से जुड़े ट्रस्टों पर टैक्स चोरी के सनसनीखेज आरोप लगाए गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2004-05 में बाबा रामदेव के ट्रस्ट दिव्य फार्मेसी ने 6,73,000 रुपये की दवाओं की बिक्री दिखाकर 53,000 रुपये सेल्स टैक्स के तौर पर चुकाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस तरह से पतंजलि योग पीठ के बाहर लोगों को हुजूम लगा रहता था, उस हिसाब से आयुर्वेदिक दवाओं का यह आंकड़ा बेहद कम था। इसकी वजह से उत्तराखंड के सेल्स टैक्स ऑफिस (एसटीओ) को बाबा रामदेव के ट्रस्ट की ओर से उपलब्ध कराए गए बिक्री के आंकड़ों पर शक हुआ और एसटीओ ने उत्तराखंड के सभी डाकखानों से जानकारी मांगी। पोस्ट ऑफिस से मिली जानकारी ने एसटीओ के शक को पुख्ता कर दिया। तहलका में छपी रिपोर्ट में डाकखानों से मिली सूचना के हवाले से कहा गया है कि वित्त वर्ष 2004-05 में दिव्य फार्मेसी ने 2509.256 किलोग्राम दवाएं 3353 पार्सल के जरिए भेजा था। इन पार्सलों के अलावा 13,13000 रुपये के वीपीपी पार्सल भी किए गए थे। इसी वित्त वर्ष में दिव्य फार्मेसी को 17,50,000 रुपये के मनी ऑर्डर मिले थे इसी सूचना के आधार पर एसटीओ की विशेष जांच शाखा (एसआईबी) ने दिव्य फार्मेसी में छापा मारा। तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर जगदीश राणा ने छापे के दौरान एसआईबी टीम का नेतृत्व किया था। राणा के मुताबिक उस मामले में ट्रस्ट ने करीब 5 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी की थी।'
तहलका में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, उस दौरान बाबा के ट्रस्ट पर पड़े छापे से तत्कालीन गवर्नर सुदर्शन अग्रवाल बहुत नाराज हुए थे। उन्होंने राज्य सरकार को छापे से जुड़ी रिपोर्ट देने को कहा था। अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन प्रिंसिपल फाइनैंस सेक्रेटरी इंदू कुमार पांडे ने छापे की कार्रवाई को निष्पक्ष और जरूरी करार दिया था। उस समय मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने राज्यपाल को भेजी रिपोर्ट में पांडे के नोट को भी संलग्न किया था। कई अधिकारियों का मानना है कि रेड के बाद राणा पर इतना दबाव पड़ा कि उन्होंने चार साल पहले ही रिटायरमेंट ले ली। एसआईबी की इस कार्रवाई के बाद राज्य या केंद्र सरकार की दूसरी कोई भी एजेंसी बाबा रामदेव के साम्राज्य के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस नहीं जुटा पाई। मैगजीन का दावा है कि सेल्स टैक्स की चोरी तो पूरे घोटाले का एक हिस्सा भर है। दिव्य फार्मेसी दूसरे तरीकों से भी टैक्स की चोरी कर रहा है। तहलका ने दावा किया है कि उसी फाइनैंशल ईयर के दौरान दिव्य फार्मेसी ने 30 लाख 17 हजार की दवाएं बाबा रामदेव के दूसरे ट्रस्ट दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट को ट्रांसफर किए। दिव्य फार्मेसी की ओर से दाखिल टैक्स रिटर्न में दावा किया गया कि सभी दवाएं गरीबो को मुफ्त बाटीं गईं। लेकिन तत्कालीन टैक्स अधिकारियों का कहना है कि कनखल स्थित दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट ले जाकर बेचा गया। ट्रस्ट के ऑफिस पास ही रहने वाले भरत पाल का कहना है कि पिछले 16 सालों में दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की तरफ से गरीबों को मुफ्त में दवा नहीं मिली है।
इसके विपरीत बाबा रामदेव धर्म को लेकर दिये गये अपने बयानों पर भी सामाजिक विरोध का सामना कर चुके हैं बाबा रामदेव ने "संत दर्शन" नामक पुस्तिका लिखी थी जिस पर की आज हरिद्वार न्यायालय में केस चल रहे है इस पर परमार्थ आश्रम के बाबा हठयोगी ने भी केस दायर किया है अब पुस्तक के प्रकाशन पर रोक लगी हुई है..
संत दर्शन नामक पुस्तिका के पेज नंबर 186 पर हिंदू धर्म के विरोध लिखा गया है उन्होंने लिखा है -
हिंदू समाज ऐसे आततायियों का दल है, जो अपने किसी भी सदस्य को एक क्षण भर के लिए सुख की सांस नहीं लेने देता. अत्याचारी हिंदू समाज अपने सदस्यों को पिछले जन्मों में किए गए पापों का फल भी इसी जन्म में भोगने के लिए विवश करता है.
अहिंसा का साइन बोर्ड लगाकर दया का ढ़िढोरा पीटकर कसाइयों की तरह व्यवहार करना, धर्म के नाम पर बड़ी-बड़ी लीलाएं करना, धर्म के लेबल में पाप का बंडल बांधना, चंदन-कपूर का तिलक लगाकर दिन-रात अपनी अंतरात्मा को द्वेषानल से दग्ध करना और संसार की आंखों में मिथ्याचार की धूल झोंकना हिंदू समाज का पेशा है.
पुस्तिका के पेज नंबर 189 पर भी हिंदुओं को भड़काने वाली बातें लिखी हैं, जैसे-हिंदू समाज कितना मूर्ख है, जो दिन-रात झूठ बोलता हुआ दूसरों से सत्य बोलने की आशा करता है. स्वयं तो व्याभिचार में लीन रहता है, परंतु दूसरों को सदाचार का उपदेश देना अपना परम धर्म समझता है. वह इतना भी नहीं समझता कि एक दर्जन बच्चों का बाप भी अपनी विषय वासना पर काबू नहीं कर सकता तो सोलह-सत्रह वर्ष की अबोध बालिका अपने यौवन को कैसे संभाल सकती है ".
Well said
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