बाल ठाकरे का जन्म 23 जनवरी 1926 को मध्यप्रदेश के
बालाघाट में हुआ बाल ठाकरे का पूरा नाम बालासाहेब केशव ठाकरे था बाल ठाकरे
ने शुरू से ही हिंदुत्व की राजनति की और देश को धर्म को नाम पर अलग अलग कर
दिया इसी हिंदुत्व की राजनीति के चलते बल ठाकरे ने बाबरी मस्जिद की शहादत की पूरी
ज़िम्मेदारी ली और 1992-93 में मुंबई में जो
दंगे हुए उसमे शिव सेना की भूमिका पर सवाल रहे कहा जाता है उन दंगो में शिव सेनिक
वोटर लिस्ट लेकर घूम रहे थे ताकि मुसलमानों को तलाश कर करके मारा जाये मुंबई दंगों की जड़ तक पहुंचने के लिए जस्टिम श्रीकृष्णा जांच आयोग की स्थापना
1993 में हुई थी. जब यह आयोग अपना काम कर रहा था, उसी दौर में शिवसेना-भाजपा गठबंधन महाराष्ट्र में सत्ता में आया, जिसने तुरंत आयोग को भंग करने का फैसला किया. पूरे देश में हुए विरोध के कारण
सरकार पर दबाव बना कि जस्टिस श्रीकृष्ण को उनका काम जारी रखने दिया जाए. मगर उसने 1998 में दी गई आयोग की रिपोर्ट को यह कहकर खारिज कर दिया कि वह राजनीति से प्रेरित
है. आयोग ने शिवसेना नेताओं और कार्यकर्ताओं को दोषी करार दिया था और 31 पुलिसवालों पर सख्त कार्रवाई की सिफारिश भी की थी शिवसेना का हिंसक और विरोधी
रुख सिर्फ भारतीय मुसलमानों के ही लिए नही रहा बल्कि शिवसेना ने देश के नगरीको में
धर्म के नाम पर दरार डालने के बाद छेत्रवाद की राजनीति की और आज तक वो पूर्वोत्तर
भारत व दक्षिण भारत के भारतीयों को मुंबई से खदेड़ने में लगे है ज़रा सोचिये वो आम
गरीब आदमी जिसे भारतीय सविधान ने देश के किसी भी हिस्से में जाकर काम करने की
आज़ादी दी है उसी आज़ादी को शिवसेना खतम करना चाहती है तो विचार करना होगा की आप
शिवसेना के साथ है या फिर देश के सविधान के कोई भी तर्क या कुतर्क देश के सविधान
से ऊपर धर्म और छेत्रवाद के नाम पर बटने वाले इंसान को नही रख सकता अब शिवसेना के
युग का नत हो चूका है और देश मुंबई दंगो को भूल कर आगे पहुच चूका है लेकिन बिहार व
उत्तर प्रदेश के वो लोग जो मुम्बई में हर लम्हा बालठाकरे के आतंक से सिहरे रहते थे
अब शायद चेन की साँस ले सकेंगे शिवसेना ही बाल ठाकरे थी और बाल ठाकरे ही शिवसेना
था इसलिए अब बाल ठाकरे की मोट के साथ ही शिवसेना ढलान की तरफ जानी शुरू होगी और
मुंबई में पूर्वोत्तर के प्रवासी भारतीय मुंबई को भारत का हिस्सा ही समझेंगे जो बल
ठाकरे की जीवित रहते मराठा मानुष से डरे रहते थे अब मुंबई के नागरिको को मराठी नही
भारतीय कहा जाये तो जादा सही रहेगा और अब शायद उन्हें मराठी नही भारतीय होने पर
गर्व होगा और मै आशा करता हू कि धर्म और छेत्रवाद के नाम पर देश के नागरिको को
बटने वाले नेताओ को जनता करारा थप्पड़ लगायेगी और देश के सभी नागरिक अमन और भाई चारे
के साथ देश के विकास में योगदान देंगे
फेसबुक पर अलका भारतीय का कहना है कि :-
फेसबुक पर अलका भारतीय का कहना है कि :-
जय हिंद
इंकलाब जिंदाबाद

Very nice ,impressive.thanks
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