महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी की मिलीजुली सरकार बनने के बाद एक नया काम
यह शुरू हुआ है कि अब वहां हिन्दू-मुस्लिम फसाद होने के बजाए पुलिस ने फिरकापरस्त
हिन्दुओं का काम अपने हाथ में ले लिया है। किसी न किसी शहर में अक्सर पुलिस वाले
मुसलमानों पर हमला करके फिरकापरस्तों का काम पूरा करते रहते हैं। वजीर-ए-आला
पृथ्वीराज सिंह चहवाण और होम मिनिस्ट्री के इंचार्ज एनसीपी लीडर आर.आर.पाटिल दोनो
ही खामोश तमाशाई बने रहते हैं। महाराष्ट्र की फिरकापरस्त पुलिस ने छः जनवरी को धुलिया
शहर की मुस्लिम आबादियों पर दधावा बोल दिया। लाठी चार्ज हुआ, आंसू गैस के गोलों
का इस्तेमाल किया और अंधाधुन्द फायरिंग करके आधा दर्जन से ज्यादा मुस्लिम नौजवानों
को मौत के घाट उतार दिया, बहाना यह कि शहर में फिरकावाराना फसाद हो रहा था उसे रोकने के लिए ही पुलिस को
फायरिंग करनी पड़ी। महाराष्ट्र पुलिस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि उसकी
राइफलों से निकलने वाली गोलियां भीड़ में मुसलमानों को पहचान कर ही उनके जिस्मों
में क्यों लगती हैं। अगर धुलिया में पुलिस ने दंगाइयों पर फायरिंग की थी तो
दंगाइयों में शामिल कोई हिन्दू हलाक या जख्मी क्यों नहीं हुआ। आधे दर्जन से ज्यादा
मुसलमान ही मारे गए एक के अलावा सभी की पीठ पर गोलियां लगी हैं। सत्तर से ज्यादा
जख्मी हुए हैं। मरने वालों में अट्ठारह साल से पैंतीस साल तक के नौजवान शामिल हैं।
सीधी बात यह है कि महाराष्ट्र की फिरकापरस्त पुलिस ने धुलिया के मुसलमानों पर एक
सोंची समझी साजिश के तहत शरद पवार की पार्टी एनसीपी के मकामी लीडरों की मिलीभगत से
हमला किया। एनसीपी की मकामी खातून कारपोरेटर माया वाघ के देवर किशोर वाघ ने छः
जनवरी को दोपहर में यह अफवाह फैलाई कि धुलिया के मुसलमान दिल्ली में
हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के दरमियान हो रहे वनडे क्रिकेट मैच में पाकिस्तान की
हिमायत कर रहे हैं।
एनसीपी लीडर किशोर वाघ ने मुसलमानों के खिलाफ अफवाह फैलायी तो देखते ही देखते मछली बाजार और सब्जी बाजार समेत कई मुस्लिम इलाकों में दंगाइयों ने हमले शुरू कर दिए। पुलिस की मौजूदगी में कई मुसलमानों के घर लूटे और जलाए गए। कुछ कीमती सामान पुलिस वाले भी ले जाते देखे गए मुस्लिम मुखालिफ ताकतों ने मछली बाजार मोहल्ले में पुलिस थाने के करीब ही एक आटो रिक्शा ड्राइवर को पकड़कर यह इल्जाम लगाते हुए पीटना शुरू कर दिया कि दिल्ली में हो रहे हिन्द-पाक वनडे क्रिकेट मैच में वह रिक्शे वाला पाकिस्तान की हिमायत कर रहा था। इसी वाक्ये से हंगामा शुरू हो गया। यह महज एक झूटा इल्जाम था जो एक साजिश के तहत लगाया गया था क्योंकि इस मैच में पाकिस्तान की हार हुई थी और जिस वक्त अफवाह फैलाकर दंगा कराया गया उस वक्त तक तो पहली इनिंग भी पूरी नहीं हुई थी। दंगा शुरू हुआ तो तकरीबन पैतालीस मिनट तक मकामी पुलिस तमाशाई बनी रही, क्योंकि वह चाहती थी कि बात आगे बढ़े ताकि वह मुसलमानो पर अपनी बहादुरी दिखा सके।
मरने वालों में अट्ठारह साल का मोहम्मद सऊद परवेज, तीस साल का हाफिज आसिफ अंसारी, आसिम शेख, चैबीस साल का इमरान अली, पच्चीस साल के शाह अब्बास शाह और वह रिजवान शाह भी शामिल है जिसकी महज आठ महीने पहले शादी हुई थी और उसकी बीवी हामिला है। हैरत यह है कि पुलिस की इस बर्बरियत पर महाराष्ट्र के वजीर-ए-आला पृथ्वीराज चहवाण खामोश हैं। महज एक किसान की मौत पर अपनी सिक्योरिटी छोड़कर सुबह सवेरे भट्टा परसौल पहुंचने वाले कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी राहुल गाँधी ने धुलिया जाकर पुलिस का शिकार बने मुसलमानों के कुन्बे के लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने की कोई कोशिश नहीं की थी। कांग्रेस सदर सोनिया गाँधी की जानिब से महाराष्ट्र हुकूमत को कोई हिदायत नही दी गई थी। दिल्ली के रेप केस का शिकार बनी लड़की की हमदर्दी का ढोंग करने और मोमबत्तियां लेकर जुलूस निकालने वाले जावेद अख्तर, शबाना आजमी, जया बच्चन व हेमा मालिनी समेत फिल्म इंडस्ट्री के किसी भी शख्स के मुंह से पुलिस की ज्यादती का शिकार बने धुलिया के मुसलमानों की हमदर्दी में एक लफ्ज भी नहीं निकला। दिल्ली रेप केस पर कई दिनों तक सारा-सारा दिन हंगामा दिखाने वाले इलेक्ट्रानिक मीडिया ने भी धुलिया के वाक्ए को पूरी तरह नजर अंदाज किया और सारा फोकस फिरकापरस्ती की अलामत बन चुके अकबरउद्दीन ओवैसी पर ही मरकूज (केन्द्रित) रखा। सवाल यह है कि अगर पुलिस, हुकूमत और मीडिया का यही रवैया मुसलमानों के साथ जारी रहा तो मुसलमानों में भी अकबरउद्दीन ओवैसी, प्रवीण तोगडिया और अशोक सिंघल जैसे लोग ही पैदा होंगे।
धुलिया के नायब तहसीलदार अब्दुल हलीम अंसारी का बीस साल का बेटा आसिफ अब्दुल हलीम सब्जी खरीदने गया था। पुलिस ने उसे गोली मार कर कत्ल कर दिया। आसिफ हाफिज ए कुरआन था। उसकी मौत से अब्दुल हलीम इतना मायूस हो गए कि उन्होंने जिला इंतजामिया के एक हिस्से की शक्ल में नायब तहसीलदार की हैसियत से काम करने से इंकार कर दिया। अब्दुल हलीम का कहना है कि जिस एडमिनिस्ट्रेशन के साथ काम करने में उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी लगा दी, उसी एडमिनिस्ट्रेशन के पक्षपात पूर्ण रवैये ने उनके बेटे की जान ले ली। उनकी आंखों के सामने उनके बेटे को कत्ल कर दिया गया और वह कुछ नहीं कर सके। उन्हें इस बात से भी सख्त सदमा पहुंचा कि जिला इंतजामिया के जिन अफसरान और मुलाजिमीन के साथ काम करते हुए उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी गुजारी उसी एडमिनिस्ट्रेटिव मशीनरी में काम करने वाला एक भी शख्स इतना बड़ा हादसा होने पर उनकी खैरियत मालूम करने नहीं आया इसलिए अब वह पक्षपात पूर्ण और फिरकापरस्त एडमिनिस्टेशन का हिस्सा बनकर काम नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि अब वह अपनी बाकी दो साल की मुलाजिमत छोड़कर फिरकापरस्त एडमिनिस्ट्रेशन के खिलाफ अदालती लड़ाई लड़ेंगे। धुलिया पुलिस का कहना है कि उसने दंगाइयों को तितर-बितर करने के लिए फायरिंग की, पुलिस फायरिंग में तकरीबन सत्तर लोग जख्मी हुए हैं। जिसमें दो हिन्दू और बाकी सब मुसलमान हैं। इसी तरह लुटने और जलने वाले मकानों में हिन्दुओं के सिर्फ दो मकान हैं। पुलिस गोली लगने से जख्मी दो दर्जन से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो मुख्तलिफ अस्पतालों के आईसीयू वार्डों में जिन्दगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। उनकी हालत देखकर कहा जा सकता है कि अगर वह बच भी गए तो अपंगता की जिन्दगी गुजारने पर मजबूर होंगे। बड़ी तादाद में ऐसे जख्मी है जिनकी शर्मगाहों पर पुलिस की गोलियां लगी हैं। खैरून्निसां का दो कमरे का मकान है उनकी बीमार मां बिस्तर पर पड़ी हैं। पुलिस ने उनके घर में दाखिल होकर बीमार मां से बदसलूकी की और अंदर कमरे में आंसू गैस का गोला दाग दिया। घर के अंदर कौन से दंगाई थे जिन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने यह कार्रवाई की? तिरंगा चौक पर साइकिल की दुकान चलाने वाले फरीद शाह बताते हैं कि वह अपने छोटे भाई जावेद शाह के साथ मछली बाजार में मछली और फल खरीदने गया था, भगदड़ मची तो वह दोनों भी भागे, मक्का मस्जिद तक पहुंचे कि उन दोनों पर पुलिस ने धावा बोल दिया। उनके छोटे भाई जावेद ने पूछा कि उन्हें क्यों मारा जा रहा है, उनकी गलती क्या है। इतने सवाल पर ही पास खड़े पुलिस इंस्पेक्टर ने रिवाल्वर निकाली और जावेद के सीने में गोली मार दी! तस्लीम यूसुफ कहते हैं कि खबर लगते ही वह अपनी दो बेटियों को लेकर महफूज (सुरक्षित) जगह जाने के लिए निकल पड़े। वह बमुश्किल दस कदम ही घर से आगे निकलीं थी तो देखा कि बड़ी तादाद में पुलिस वाले कुछ मजदूर किस्म के लोगों के साथ उनके घर में घुसे, अगले महीने उनकी बड़ी बेटी की शादी थी। शादी के लिए इकट्ठा किया गया सारा सामान, जेवर, कपड़े और पचास हजार रूपये नकद लूट लिए और घर में आग लगा दी। नफीसा शाह का दो मंजिला मकान लूट कर जला दिया गया। हाजी हबीब अहमद कहते हैं कि उनकी दुकान से सात लाख का सामान लूटा गया। आबिदा बी का रोते-रोते बुरा हाल है क्योंकि उनके बेटे इमरान को पुलिस ने गोली मार कर कत्ल कर दिया। सत्रह साल का रईस पटेल पुलिस गोली का शिकार हो गया। उसकी मां परवीन पटेल बार-बार एक ही सवाल कर रही हैं कि आखिर उसकी गलती क्या थी कि पुलिस ने उनके बेटे को कत्ल कर दिया। तेइस साल के शेख अकबर सुल्तान के कंद्दे पर गोली लगी है। अस्पताल में उनका इलाज हो रहा है कहते हैं कि शहर में हिन्दू-मुसलमानों के दरमियान तो कोई झगड़ा हुआ ही नहीं। मुसलमानों पर हमला तो पुलिस ने किया। सायरा बानो के भी दाएं हाथ में गोली लगी है। बूढ़े मां-बाप का पेट भरने के लिए होटल में काम करने वाले चैदह साल का मासूम मोहम्मद आबिद शेख हंगामा शुरू होने पर अपने घर की तरफ भाग रहा था। पुलिस ने उसे इतना पीटा कि वह खड़ा भी नहीं हो सकता। एक मकामी अखबार के सहाफी सलीम अहमद पुलिस फायरिंग की फोटो खींच रहे थे। पुलिस वालों ने फोटो खींचने से रोका,वह नहीं माने तो उनके दाहिने हाथ में गोली मार दी। दंगाइयों को तितर-बितर करने का यह आखिर कौन सा तरीका है जो धुलिया पुलिस ने अख्तियार किया। इतने लोगों की जान लेने और बड़ी तादाद में लोगो को जख्मी करके द्दुलिया पुलिस का दिल नहीं भरा। मुसलमानों पर पुलिस की ज्यादतियां जारी रहें इसी गरज से पुलिस ने दंगे फसाद के लिए आठ हजार नामालूम लोगों के खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज कर ली है ताकि वह जब जिसे चाहे दंगा करने के इल्जाम में गिरफ्तार कर सके। इस फर्जी रिपोर्ट का इस्तेमाल द्दुलिया पुलिस उन लोगों के खिलाफ भी करेगी जो लोग आइंदा पुलिस के खिलाफ अदालतों में पैरवी करेंगे।
एनसीपी लीडर किशोर वाघ ने मुसलमानों के खिलाफ अफवाह फैलायी तो देखते ही देखते मछली बाजार और सब्जी बाजार समेत कई मुस्लिम इलाकों में दंगाइयों ने हमले शुरू कर दिए। पुलिस की मौजूदगी में कई मुसलमानों के घर लूटे और जलाए गए। कुछ कीमती सामान पुलिस वाले भी ले जाते देखे गए मुस्लिम मुखालिफ ताकतों ने मछली बाजार मोहल्ले में पुलिस थाने के करीब ही एक आटो रिक्शा ड्राइवर को पकड़कर यह इल्जाम लगाते हुए पीटना शुरू कर दिया कि दिल्ली में हो रहे हिन्द-पाक वनडे क्रिकेट मैच में वह रिक्शे वाला पाकिस्तान की हिमायत कर रहा था। इसी वाक्ये से हंगामा शुरू हो गया। यह महज एक झूटा इल्जाम था जो एक साजिश के तहत लगाया गया था क्योंकि इस मैच में पाकिस्तान की हार हुई थी और जिस वक्त अफवाह फैलाकर दंगा कराया गया उस वक्त तक तो पहली इनिंग भी पूरी नहीं हुई थी। दंगा शुरू हुआ तो तकरीबन पैतालीस मिनट तक मकामी पुलिस तमाशाई बनी रही, क्योंकि वह चाहती थी कि बात आगे बढ़े ताकि वह मुसलमानो पर अपनी बहादुरी दिखा सके।
मरने वालों में अट्ठारह साल का मोहम्मद सऊद परवेज, तीस साल का हाफिज आसिफ अंसारी, आसिम शेख, चैबीस साल का इमरान अली, पच्चीस साल के शाह अब्बास शाह और वह रिजवान शाह भी शामिल है जिसकी महज आठ महीने पहले शादी हुई थी और उसकी बीवी हामिला है। हैरत यह है कि पुलिस की इस बर्बरियत पर महाराष्ट्र के वजीर-ए-आला पृथ्वीराज चहवाण खामोश हैं। महज एक किसान की मौत पर अपनी सिक्योरिटी छोड़कर सुबह सवेरे भट्टा परसौल पहुंचने वाले कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी राहुल गाँधी ने धुलिया जाकर पुलिस का शिकार बने मुसलमानों के कुन्बे के लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने की कोई कोशिश नहीं की थी। कांग्रेस सदर सोनिया गाँधी की जानिब से महाराष्ट्र हुकूमत को कोई हिदायत नही दी गई थी। दिल्ली के रेप केस का शिकार बनी लड़की की हमदर्दी का ढोंग करने और मोमबत्तियां लेकर जुलूस निकालने वाले जावेद अख्तर, शबाना आजमी, जया बच्चन व हेमा मालिनी समेत फिल्म इंडस्ट्री के किसी भी शख्स के मुंह से पुलिस की ज्यादती का शिकार बने धुलिया के मुसलमानों की हमदर्दी में एक लफ्ज भी नहीं निकला। दिल्ली रेप केस पर कई दिनों तक सारा-सारा दिन हंगामा दिखाने वाले इलेक्ट्रानिक मीडिया ने भी धुलिया के वाक्ए को पूरी तरह नजर अंदाज किया और सारा फोकस फिरकापरस्ती की अलामत बन चुके अकबरउद्दीन ओवैसी पर ही मरकूज (केन्द्रित) रखा। सवाल यह है कि अगर पुलिस, हुकूमत और मीडिया का यही रवैया मुसलमानों के साथ जारी रहा तो मुसलमानों में भी अकबरउद्दीन ओवैसी, प्रवीण तोगडिया और अशोक सिंघल जैसे लोग ही पैदा होंगे।
धुलिया के नायब तहसीलदार अब्दुल हलीम अंसारी का बीस साल का बेटा आसिफ अब्दुल हलीम सब्जी खरीदने गया था। पुलिस ने उसे गोली मार कर कत्ल कर दिया। आसिफ हाफिज ए कुरआन था। उसकी मौत से अब्दुल हलीम इतना मायूस हो गए कि उन्होंने जिला इंतजामिया के एक हिस्से की शक्ल में नायब तहसीलदार की हैसियत से काम करने से इंकार कर दिया। अब्दुल हलीम का कहना है कि जिस एडमिनिस्ट्रेशन के साथ काम करने में उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी लगा दी, उसी एडमिनिस्ट्रेशन के पक्षपात पूर्ण रवैये ने उनके बेटे की जान ले ली। उनकी आंखों के सामने उनके बेटे को कत्ल कर दिया गया और वह कुछ नहीं कर सके। उन्हें इस बात से भी सख्त सदमा पहुंचा कि जिला इंतजामिया के जिन अफसरान और मुलाजिमीन के साथ काम करते हुए उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी गुजारी उसी एडमिनिस्ट्रेटिव मशीनरी में काम करने वाला एक भी शख्स इतना बड़ा हादसा होने पर उनकी खैरियत मालूम करने नहीं आया इसलिए अब वह पक्षपात पूर्ण और फिरकापरस्त एडमिनिस्टेशन का हिस्सा बनकर काम नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि अब वह अपनी बाकी दो साल की मुलाजिमत छोड़कर फिरकापरस्त एडमिनिस्ट्रेशन के खिलाफ अदालती लड़ाई लड़ेंगे। धुलिया पुलिस का कहना है कि उसने दंगाइयों को तितर-बितर करने के लिए फायरिंग की, पुलिस फायरिंग में तकरीबन सत्तर लोग जख्मी हुए हैं। जिसमें दो हिन्दू और बाकी सब मुसलमान हैं। इसी तरह लुटने और जलने वाले मकानों में हिन्दुओं के सिर्फ दो मकान हैं। पुलिस गोली लगने से जख्मी दो दर्जन से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो मुख्तलिफ अस्पतालों के आईसीयू वार्डों में जिन्दगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। उनकी हालत देखकर कहा जा सकता है कि अगर वह बच भी गए तो अपंगता की जिन्दगी गुजारने पर मजबूर होंगे। बड़ी तादाद में ऐसे जख्मी है जिनकी शर्मगाहों पर पुलिस की गोलियां लगी हैं। खैरून्निसां का दो कमरे का मकान है उनकी बीमार मां बिस्तर पर पड़ी हैं। पुलिस ने उनके घर में दाखिल होकर बीमार मां से बदसलूकी की और अंदर कमरे में आंसू गैस का गोला दाग दिया। घर के अंदर कौन से दंगाई थे जिन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने यह कार्रवाई की? तिरंगा चौक पर साइकिल की दुकान चलाने वाले फरीद शाह बताते हैं कि वह अपने छोटे भाई जावेद शाह के साथ मछली बाजार में मछली और फल खरीदने गया था, भगदड़ मची तो वह दोनों भी भागे, मक्का मस्जिद तक पहुंचे कि उन दोनों पर पुलिस ने धावा बोल दिया। उनके छोटे भाई जावेद ने पूछा कि उन्हें क्यों मारा जा रहा है, उनकी गलती क्या है। इतने सवाल पर ही पास खड़े पुलिस इंस्पेक्टर ने रिवाल्वर निकाली और जावेद के सीने में गोली मार दी! तस्लीम यूसुफ कहते हैं कि खबर लगते ही वह अपनी दो बेटियों को लेकर महफूज (सुरक्षित) जगह जाने के लिए निकल पड़े। वह बमुश्किल दस कदम ही घर से आगे निकलीं थी तो देखा कि बड़ी तादाद में पुलिस वाले कुछ मजदूर किस्म के लोगों के साथ उनके घर में घुसे, अगले महीने उनकी बड़ी बेटी की शादी थी। शादी के लिए इकट्ठा किया गया सारा सामान, जेवर, कपड़े और पचास हजार रूपये नकद लूट लिए और घर में आग लगा दी। नफीसा शाह का दो मंजिला मकान लूट कर जला दिया गया। हाजी हबीब अहमद कहते हैं कि उनकी दुकान से सात लाख का सामान लूटा गया। आबिदा बी का रोते-रोते बुरा हाल है क्योंकि उनके बेटे इमरान को पुलिस ने गोली मार कर कत्ल कर दिया। सत्रह साल का रईस पटेल पुलिस गोली का शिकार हो गया। उसकी मां परवीन पटेल बार-बार एक ही सवाल कर रही हैं कि आखिर उसकी गलती क्या थी कि पुलिस ने उनके बेटे को कत्ल कर दिया। तेइस साल के शेख अकबर सुल्तान के कंद्दे पर गोली लगी है। अस्पताल में उनका इलाज हो रहा है कहते हैं कि शहर में हिन्दू-मुसलमानों के दरमियान तो कोई झगड़ा हुआ ही नहीं। मुसलमानों पर हमला तो पुलिस ने किया। सायरा बानो के भी दाएं हाथ में गोली लगी है। बूढ़े मां-बाप का पेट भरने के लिए होटल में काम करने वाले चैदह साल का मासूम मोहम्मद आबिद शेख हंगामा शुरू होने पर अपने घर की तरफ भाग रहा था। पुलिस ने उसे इतना पीटा कि वह खड़ा भी नहीं हो सकता। एक मकामी अखबार के सहाफी सलीम अहमद पुलिस फायरिंग की फोटो खींच रहे थे। पुलिस वालों ने फोटो खींचने से रोका,वह नहीं माने तो उनके दाहिने हाथ में गोली मार दी। दंगाइयों को तितर-बितर करने का यह आखिर कौन सा तरीका है जो धुलिया पुलिस ने अख्तियार किया। इतने लोगों की जान लेने और बड़ी तादाद में लोगो को जख्मी करके द्दुलिया पुलिस का दिल नहीं भरा। मुसलमानों पर पुलिस की ज्यादतियां जारी रहें इसी गरज से पुलिस ने दंगे फसाद के लिए आठ हजार नामालूम लोगों के खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज कर ली है ताकि वह जब जिसे चाहे दंगा करने के इल्जाम में गिरफ्तार कर सके। इस फर्जी रिपोर्ट का इस्तेमाल द्दुलिया पुलिस उन लोगों के खिलाफ भी करेगी जो लोग आइंदा पुलिस के खिलाफ अदालतों में पैरवी करेंगे।
इनके बाद जाँच सी
आई डी को दे दी गयी है और बीते दिनों 31 मार्च को सी आई डी ने चार मुस्लिम नौजवानों को गिरफ्तार
करके 2 अप्रैल को अदालत में
फसाद के मुलजिम के तोर पर पेश किया गया और अभी तक किसी भी पुलिस वालो को मुलजिम
नही बनाया गया है जिससे आसानी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है जो लोग अदालती करवाई
शुरू होने पर पुलिस के खिलाफ गवाही दे सकते
है उन लोगो को फर्जी केसों में फसाया जा रहा है
नोट: ब्लॉग में कुछ सामग्री http://www.jadeedmarkaz.net/ से ली गयी है
इन्कलाब जिंदाबाद
aisa hota rahega jab tak muslamano apni party nahi banaye ge.apni party banao.
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