सोमवार, 5 अगस्त 2013

मुसलमानों की बर्बादी की वजह: जंगल की हवेली



ये एक ऐसा सनसनीखेज़ वाक्या है जो आपको इस्लाम के कमज़ोर होने की असल वजह से रूबरू करता है इस पोस्ट का मकसद मुस्लिम समाज को गुमराह कर रहे लोगो की असलियत सामने लाना है इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप अंदाज़ा लगा सकते है कि कम तादात में होने के बावजूद दुनिया पर परचान लहराने वाले मुसलमान आज तादात में बहुत जादा होने के बाद भी क्यों बदहाल है कम ज़हन लोग इस पोस्ट को पढकर अपना वक्त खराब ना करे और जो लोग इस पोस्ट को पढ़े बहुत ही धयान से इसके बारे में समझने की कोशिश करे 

 नवाब राहत सईद खान छ्त्तारी साहब 1940 में उत्तर प्रदेश के गवर्नर थे अंग्रेजो ने ये अहम पोस्ट उन्हें इसलिए दी थी क्योकि वह कांग्रेस या मुस्लिम लीग के साथ ना जाकर अंग्रेजो के वफादार थे जब वो नोकरी पर थे उन्हें एक बार उन्हें सरकार काम से लंदन बुलाया गया जब वह लंदन में थे तो उनके एक बहुत ही पक्के अग्रेज दोस्त ने जो भारत में कलेक्टर रह चूका था नवाब साहब से कहा कि कि चलो तुम्हे आज एक ऐसी जगह कि सेर करा कर लाता हू जिसे आजतक कोई देख कर नही गया उस जगह पर जाने के लिये सरकार से लिखित इजाज़त लेनी होती थी इसलिए उसने सरकार से इजाज़तनामा लिया और अगले दिन वो अपनी मोटरकार से नवाब साहब को लेकर वहाँ के लिये रवाना हो गया शहर से बाहर निकलने के बाद जंगल शुरू हो चूका था और उसी जंगल से एक पतली से सड़क कटती थी गाड़ी उसी पतली सड़क पर चलने लगी जेसे जेसे गाड़ी आगे बढ़ रही थी जंगल घना होता जा रहा था और दूर दूर तक किसी भी गाड़ी का नामो निशान भी नहीं था एक लंबे सफर के बाद सामने एक बड़ा गेट दिखाई दिया गेट पर पहुचने पर बहुत दूर एक ईमारत दिखाई देने लगी थी उस जगह के चारो तरफ फोजियो बहुत ही सख्त पहरा था चिड़िया का बच्चा भी बिना इजाज़त अंदर नही जा सकता था गेट पर पहरेदारो ने गाड़ी रुकवा ली और इजाज़तनामें को गौर से देखा उसके बाद कहा कि अपनी गाड़ी यही छोडिये इससे आगे आपको हमारे फोजियो कि गाड़ी में जाना होगा वह फोजियो कि गाड़ी में बैठकर आगे जाने लगे थोड़ी दूर जाने के बाद लाल पत्थर कि एक बड़ी सी इमारत नज़र आई कुछ दूर पहले अग्रेज ने गाड़ी रोक दी और कहा इससे आगे आपको पेदल ही जाना होगा अंग्रेज ने नवाब साहब से कहा हम यहाँ सिर्फ देखने आये है ध्यान रहे यहाँ कुछ भी बोलने या सवाल करने की बिलकुल भी इजाज़त नही है इमारत के शुरू में एक बहुत ही बड़ा मदन था और आगे बहुत से बड़े बड़े कमरे थे मैदान में पहुचे तो दिखाई दिया कि एक कमरे से एक  नौजवान निकलता हुआ दिखाई दिया जिसने अरबी कड़े पहने थे और सर पर अरबी रुमाल बांध रखा था दुरसे कमरे से भी कुछ ऐसे ही नौजवान निकले उन लोगो ने एक दूसरे को अरबी लहजे में सलाम किया नवाब साहब हेरान हो गए कुछ पूछना ही चाहते थे कि अंग्रेज ने इशारे से मना कर दिया आगे एक कमरे के आगे से गुज़रे तो देखा कमरे में मस्जिद जेसा फर्श पढ़ा हुआ है और एक उस्ताद नौजवानों को उसी तरह सबक पढ़ा रहे है जेसे इस्लामी मदरसों में पढ़ाया जाता है तलबा कभी अरबी तो कभी अंग्रेजी में उस्ताद से सवाल भी कर रहे थे नवाब साहब से देखा किसी कमरे में कुरानमजीद पढाया जा रहा है कही कुरान सिखाया जा रहा है कही कुरान की तफसीर का दर्स हो रहा है कही बुखारी शरीफ का दर्स हो रहा है कही मुस्लिम शरीफ का एक कमरे में मुसलमानों और ईसाइयों में मुनाजरा हो रहा था एक कमरे में मसाईलो आर बात हो रही थी सबसे बड़े कमरे में अलग अलग ज़बानों में कुरान का तर्जुमा सिखाया जा रहा था नवाब साहब ने नोट किया बारीक़ मसले मसाईल पर हर जगह जोर दिया जा रहा था जेसे गुसल का तरीका, वजू रोज़े नमाज़ और सजदे सहू के मसाईल, विरासत के झगडे, लिबास और दाढ़ी की लम्बाई, गा कर आयात पढ़ना, गुसल जाने के आदाब, घर के बाहर आने जाने के आदाब, हज के मसले, बकरा दुम्बा केसा हो, छुरी केसी हो, कव्वा हलाल या हराम, हज बदल और कज़ा नमाज़ो की बहस, ईद का दिन केसे तय किया जाये और हज का केसे, मेज़ पर खाना खाना, पैंट पहनना जायज़ हे या नाजायज़, ओरत की अकी नापाकी के झगडे, हुजुर की मेराज रूहानी थी या जिस्मानी, इमाम के पीछे सुराह फातिहा पड़ी जायेगी या नही, तराबी आठ है या बीस, नमाज़ के दोरान वजू टूट जाये तो आदमी क्या करे, सूद जायज़ है या नाजायज़, ऐतकाफ के मसले, मिस्वाक का इस्तमाल, रोज़ा टूटने जुड़ने के मामले, ओरत बुरका पहने या चादर ओढ़े, ऊंट पर बहन भाई बेठे तो आगे बहन हो या भाई, कोनसे वजीफे पढ़े जाये एक उस्ताद ने सवाल किया पहले अरबी फिर अंग्रेजी और आखिर में खालिस उर्दू में जमात अब ये बताये की जादू, नज़रबंद, तावीज़ गंडे आसेब का साया बरहक(सही) है या नही 40-45 की ये जमात एक साथ बोली बरहक एक शागिर्द ने खड़े होकर कहा की उस्ताद इबादत के लिये नियत ज़रुरी होती है तो मुर्दा लोगो का हज बदल केसे हो सकता है कुरान तो कहता है की हर इंसान अपने अमाल का जिम्मेदार है उस्ताद ने कहा कुरान की बात मत करो सिर्फ रिवायतो में मसले का हल तलाश किया करो जादू, नज़रबंद, तावीज़, आसेब, वजीफे, विर्द, और इस्ताखारे में मुसलमानों का इमांन पक्का करदो और सितारों में हाथ की लकीरों में मकद्दर और नसीब है



ये सब देख कर वापस हुए तो नवाब छात्तारी अंग्रेज कलेक्टर से पूछा इतने अज़ीम मदरसे को आपने छुपा कर क्यों रखा है अंग्रेज ने जवाब दिया इन सब में कोई मुसलमान नही था ये सब ईसाई है तालीम पूरी होने पर इन सभी को मुस्लिम मुल्को में खासतोर पर हिंदुस्तान, ईरान, तुर्की जेसी जगहों पर भेज दिया जाता है वहाँ जाकर ये नमाजियो से कहते है कि वो यूरोपी मुस्लमान है और उन्होंने मिस्र के जामिया अजहर जेसी यूनीवर्सिटीयो में तालीम पाई है और वो मुकम्मल आलिम है यूरोप में इतने इस्लामी इदारे मोजूद नही है जहाँ वो तालीम दे सके वो तनख्वाह नही चाहते सिर्फ खाना कपडा और सर छुपाने की जगह और खाना कपडा की दरकार है फिर वो मुअज्ज़िन, पेशइमाम या बच्चो को कुरान पढाने की खिदमत पेश करते है तालीमी इदारा हो तो उसमे उस्ताद मुकर्र हो जाते है जुमे का खुतबा तक देते है
नवाब साहब के अंग्रेज दोस्त ने यह कह कर उन्हें हेरान कर दिया कि इन मद्सो का मकसद मुसलमानों को रिवायत ज़िक्र के वजीफो और नजरी मसाइल में उलझा कर कुरान से दूर रखना और हुजुर का दर्जा जिस तरीके से भी हो सके घटाया जाये कभी हदीसो के हवाले से कहा जाये की आपने बच्चियों से निकाह किया था कभी कहा जाये आप जादूगर थे कभी कहो कि आप हर रात अपनी ग्यारह बीबियो का दौरा फ़रमाया करते थे इस अंग्रेज ने ये भी बताया कि 1920 में राजपाल से रंगील रसूल नाम कि किताब भी इसी इदारे ने छपवाई थी इससे कई साल पहले मिर्ज़ा गुलाम अहमद कादयानी और बहाउल्लाह को नबी बनाकर खड़ा करने वाला भी यही इदारा है खबर है कि सलमान रुश्दी की किताब लिखवाने में भी इन्ही लोगो का हाथ है 

नोट:मेरा मकसद इस्लाम के दुश्मनों कि साजिशों को बेनकाब करना है जंगल की हवेली से निकले ये मुल्ला आज हर फिरको में पहुच चुके है और फिरको को तूल देकर कौम को टुकडो में बाटने वाले भी यही है इन लोगो का मकसद इस्लाम को कमज़ोर करना है जेसा की आज ये अपनी नापाक चालो में काफी हद तक कामयाब हो चुके है कुरान से रोकने का मकसद दीन से दूर करना है ताकि हुए पता ही ना चल सके कि हमें क्या करना है क्या नही करना और किस हालात में कुरान हमें क्या हुकुम दे रहा है सबसे जादा फ्सोस कि बात ये है कि हमारे भोले भाले दीनी भाई इसक हक समझ कर इनकी पैरवी करने लगे है ये खबर इससे पहले 1985 और 1992 में कुछ गैर हिन्दुस्तानी जगहों पर छप चुकी है अगर अल्लाह की मर्ज़ी रही तो इसका एक और भाग भ जल्द ही पोस्ट करूँगा  
आपकी दुआओं का तालिब आफताब फाजिल 



7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब आफ़ताब भाई अल्लाह आप को ज्जाए खैर दे आपने बहुत अछि कहानी सुने जो इंसानों को जगा देगी

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  2. aslam alikum rahmarullah aftab bhai ,shukrgujar hu aap ka jo iss tarah ka knowledge diya ,allah aap ko aur taraki de ,ye news pure duniya mein faile
    aamin

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  3. bahut bahut shukriya apka janab.... is.. haqeekat ... rubaroo karane k liye...

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  4. BAHUT BAHUT SUKRIYA BHAIJAN ITNI ACHI BATE BATANE KE LIYE...................AFSOS HOTI HAI K AAJ MUSALMAN IN SAB JIZON MAI JYADH MASGUL HO CHUKE HAI SABKO APNE APNE FIRQE KI PARI HAI NA K QURAN R SAHI HADEEESH KI.ALLAH HAR MUSALMAN KO SAHI RASTE PAR CHALNE KI TOUFEEQ ATA FARMAYE AMEEN

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  5. Islam can be understood in 4 phases 1---From Aadam to hazrat (saw)2-life of hazrat(saw) in makka 3--Life in Madina 4--full constitution QORAN DEEN MOKAMMAL .
    WE have to solve our problems within frame work of Qoranic advice . Instruction . and orders .How it was implemented we can view sunnat way .
    That is final.Like hindu samaj in muslim culture also MOLVIVAD has peniterated.And this has weekend our Muslim race.They still depend on Dua not Dawa .medicine .remedy.given in qoran I can give example of 3--greater ayats of instruction and orders .1--ayat no.201&202 of Albaqra and ayat no.60 of anfal
    Either it was overlooked or not given share of gravity by mulla pandit of Islam and so right from KSA SAUDIA TO IRAN all are under control of USA.ROOS AUR CHINA .
    THESE 3-nation obeyed the 3 instructions and now treated as super power .Science was in Qoran but no muslim invented missile to bomb .cycle to airplane .gramophone.telephone to smart phone
    Steel.electric . gas and so on

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  6. Allah Aapke sath aasani ka mamala kare. Please join me in whatup group. My cell number is 9960575786

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  7. Ye badi Sachchain h...
    Aisi or bhi sajish ha he jis s Muslim be khaber h
    Jesse. ..watsup.Facebook
    .ye bhi jungle ki haveli ki tarhan...

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