22 दिसंबर 1949 की रात को अयोध्या में कांग्रेसियों ने राम की मूर्ति मस्जिद में रखवाई और प्रचारित किया कि राम प्रकट हुए हैं...मुस्लिम विरोध पर एफ़आईआर दर्ज़ की गई...धारा 145 की आड़ में मुस्लिमों को मस्जिद से दूर रखा गया...जबकि पुजारी पूजा करते रहे और हिंदुओं ने अखंड कीर्तन शुरू कर दिया, उस समय देश के प्रधानमंत्री कांग्रेसी नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री कांग्रेसी नेता पंडित गोविंद वल्लभ पंत थे।
दो बार प्रधानमंत्री रहे कांग्रेसी नेता गुलजारीलाल नंदा की उपस्थिति में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दाऊदयाल खन्ना ने 1983 में हिन्दू सम्मेलन के दौरान अयोध्या, मथुरा व काशी के स्थलों को फिर से अपने अधिकार में लेने हेतु हिन्दू समाज का ज़ोर-शोर से प्रखर आह्वान किया...इन्दिरा गांधी की हत्या के कारण कांग्रेस ने अपना कार्यक्रम रोक लिया।
फिर 1 फरवरी 1986 में राम मंदिर का ताला खोला गया, उस समय देश के प्रधानमंत्री कांग्रेसी नेता राजीव गांधी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कांग्रेसी नेता वीरबहादुर सिंह थे।
1 नवंबर 1989 में शिलान्यास हुआ, उस समय उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री कांग्रेसी नेता नारायण दत्त तिवाड़ी और प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे।
कांग्रेसी अपना काम कर चुके थे, अब उन्हें अपनी सेक्युलर छवि बनानी थी...यह काम बीजेपी, विहिप, शिव सेना, बजरंग दल को सौंपा गया...कार-सेवकों को रोकने के लिए पुलिस फायरिंग हुई, जिसके चलते मुलायम सिंह यादव को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
1992 में बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस (6 दिसंबर) पर बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया।
देश की अधिसंख्यक जनता अशिक्षित, गरीब और आस्थावादी है...ऐसे में उन्हें धर्म के नाम पर अन्य सभी जरूरी मुद्दों से आसानी से हटाया जा सकता है...बीजेपी का कहना है कि गांधी भारत को 'रामराज्य' बनाना चाहते थे, इसलिए 'राम मंदिर' बनाना ही है, भारत को 'हिन्दू राष्ट्र' बनाना है...कांग्रेस और बीजेपी एक ही हैं, बस मुखौटा अलग-अलग है...भला पार्टी का नाम बदल जाने से जातिगत उद्देश्य थोड़े ना बदल जाते हैं।
22 दिसंबर 1949 की रात को मस्जिद में मूर्ति रखवाकर, 1 फरवरी 1986 में राम मंदिर का ताला खुलवाकर, 1 नवंबर 1989 में शिलान्यास करवाकर कांग्रेस गांधी के 'रामराज्य' का सपना पूरा करने में लगी हुई है
फिर 1 फरवरी 1986 में राम मंदिर का ताला खोला गया, उस समय देश के प्रधानमंत्री कांग्रेसी नेता राजीव गांधी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कांग्रेसी नेता वीरबहादुर सिंह थे।
1 नवंबर 1989 में शिलान्यास हुआ, उस समय उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री कांग्रेसी नेता नारायण दत्त तिवाड़ी और प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे।
कांग्रेसी अपना काम कर चुके थे, अब उन्हें अपनी सेक्युलर छवि बनानी थी...यह काम बीजेपी, विहिप, शिव सेना, बजरंग दल को सौंपा गया...कार-सेवकों को रोकने के लिए पुलिस फायरिंग हुई, जिसके चलते मुलायम सिंह यादव को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
1992 में बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस (6 दिसंबर) पर बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया।
देश की अधिसंख्यक जनता अशिक्षित, गरीब और आस्थावादी है...ऐसे में उन्हें धर्म के नाम पर अन्य सभी जरूरी मुद्दों से आसानी से हटाया जा सकता है...बीजेपी का कहना है कि गांधी भारत को 'रामराज्य' बनाना चाहते थे, इसलिए 'राम मंदिर' बनाना ही है, भारत को 'हिन्दू राष्ट्र' बनाना है...कांग्रेस और बीजेपी एक ही हैं, बस मुखौटा अलग-अलग है...भला पार्टी का नाम बदल जाने से जातिगत उद्देश्य थोड़े ना बदल जाते हैं।
22 दिसंबर 1949 की रात को मस्जिद में मूर्ति रखवाकर, 1 फरवरी 1986 में राम मंदिर का ताला खुलवाकर, 1 नवंबर 1989 में शिलान्यास करवाकर कांग्रेस गांधी के 'रामराज्य' का सपना पूरा करने में लगी हुई है
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