मंगलवार, 19 जुलाई 2011

मुबई ब्लास्ट की सियासत

१३ जुलाई २०११ मुंबई पर फिर हुआ आतंकी  हमला बेकसूर आम लोग फिर बने एक घिनोनी हरकत  के शिकार शाम ७ बजे के आस पास ब्लास्ट हुए रात भर राहत कार्य चला जांच भी होती रही जांच होते वक़्त रात में पुलिस या जांच दल ने कोई ब्यान या खुलासा नही किया लेकिन अगले दिन सुभाह अखबारों की सुर्खियों में ब्लास्ट का ज़िम्मेदार ऐसे संघटनो को बता दिया गया जो नाम से मुसलिम लगते थे अब सवाल ये उठता  हे
बिना सबूत गवाह और बिना किसी हवाले के शक की सुई नाम के  मुसलिम   संघठन की तरफ ही केसे गयी..??
RSS जेसे देशविरोधी संगठनो पर शक क्यों नही किया गया..??
क्या अख़बार वालो के पास पुख्ता जानकारी थी..?
या फिर ब्लास्ट के तार ही इन लोगो से जुड़े थे..?
या फिर मुसलमानों को बदनाम करने  के लिए इन लोगो के पास काफी पैसा आया था..?
आतंकवाद क्या हे इस मुद्दे पर तो तफ्सीली चर्चा की ज़रूरत हे लेकिन अभी सिर्फ मुंबई ब्लास्ट पर चर्चा करते है

मुंबई  ब्लास्ट  के बाद अखबारों के कयास और जांच अगेंसियो की कारवाई मुसलमानों को टार्गेट रखकर की गयी इसी कड़ी में १६ जुलाई को मुंबई के गोबंदी इलाके से फैज़ उस्मानी को गिरफ्तार  किया गया और अगले दिन १७ जुलाई की सुबह इनकी मौत हो गयी मौत की वजह मानसिक अघात था agr फैज़ उस्मानी आतंकवादी होते तो इस तरह न मर जाते लेकिन इस मौत  पर सरकार  से लेकर मुसलमानों के रहनुमा होने का दावा करने वाले सभी नेता और इंसाफ की बड़ी बड़ी बातो का हवाई दावा  करने वाले सभी संगठन खामोश हे और यहाँ मुझ  जेसा हर लेखक आँखों में आंसू भर कर बेगुअंह मुस्लमान पर होते हुए  ज़ुल्म  को देख रहा हेक्योकि अकेला खड़ा नही हुआ जा सकता..
बोम्ब धमाको को लेकर जिस तरह सियासी पार्टिया अपनी रोटियाँ   सेकने    में लगी  हे  उसे ज़ाहिर  होता  हे की  ब्लास्ट   की ये आग सिर्फ रोटियां सेकने के लिए ही तो नही लगवाई गयी.??
और इस आग को लगाने का मकसद एक समुदाय को dusre समुदाय के खिलाफ भड़का कर वोट बैंक बनाना तो नही हे ..??
क्योकि ये निति बाटओ  और राज करो अंग्रेजो की चमचा गिरी  करने वाले लोग सिख कर आज इस्तेमाल कर रहे   हे   फिर ये  ब्लास्ट   मुस्लिम बिरादरी को फसा कर और फिर उनकी तरफदारी करके   दुसरे समुदाय पर आरोप लगा कर मुसलमानों को अपनी तरफ लेने  या वोट बैंक बनाने की साजिश तो नही..??
 क्योकि उत्तर परदेश में चुनाव नज़दीक हे और आम जनता भिराश्ताचार काला  धन  और घोटालो का मुद्दा बनाये हुए थी लेकिन अब इन धमाको से जो सियासी हलचल पैदा हुयी हे उसने हर मुद्दे को हाशिये पर फेक दिया हे मशहूर लेखिका और चिन्तक शीबा असलम फ़हमी के शब्दों में कहू तो उन्होंने लिखा हे...
"हर मुस्लमान माँ इस अंदेशे से सिहरती   हे   की जांच एजेंसिया कही उसके बच्चे को किसी आतंकी घटना में न फसा दें"
सवाल यु ही कायम हे मुस्लमान जो अपनी हेसियत सिर्फ वोट बैंक बन्ने तक सिमित रखे हुए  हे  सडको पर अपने हक के लिए इंसाफ के लिए कब उतरेगा..??
कब एक जुट होकर सियासत के बादशाहों को चुनोती देगा..??
 और ये सवाल तब तक इसी तरह कायम रहेगा जब तक हम सच कहने की हिम्मत  नही लाते..
 आज पकिस्तान देश को नफरत और हिंसा में झोकना चाहता हे वोह हमसे  बंगलादेश की आजादी का बदला लेना चाहता हे लेकिन RSS भी वही काम कर रही हे नफरत और हिंसा फेलाने का RSS के लोग israil जाकर मोसाद के सरक्षण में क्या सीख रहे हैं..??
 क्या प्लानिंग चल रही हे इन देशविरोधियो की देश को अस्थिर करने के लिए..??
 इन सवालों का जवाब तब मिलेगा जब इन हमलो की सीबीआई जांच होगी और फिर कोई हेमंत करकरे करेगा इंसाफ से जांच .
कब तक बेगुनाह मुस्लमान आतंकी कह कर सताए जाते रहेंगे कब खड़ा होगा कोई इनकी पेरवी  करने वाला..??

inqlaab zindabad

1 टिप्पणी:

  1. bhai mujhe apki ye baat to galat lagi.isme to koi shak hi nhi ki apne yaha jab bhi koi bomb blast hota h uska talluk humesgha hi kisi pakistani atangwadi sangthan se hota h aur unka sath india ke hi kuch bhatke hue muslim dete hain.main 10 saal haryana ke mewat dist. me raha hoon.waha 90% muslim aabadi h.maine khud apni aankho se dekha h ki unme se kuch muslim apne apko pakistani bolna pasand karte hain aur vo pakistan ka hi favour karte hain.main ye nhi kah rha ki sabhi muslim bure hote hain.muslim log bahut ache hote hain par kuch log atangwadiyo ke bahkawe me aa jaate hain.main sabhi dharmo ko brabar manta hoon.mera best frnd bhi ek muslim ladka hi h aur jaha hum rahte the waha humre padosi bhi muslim the aur vo log bahut ache the aur humari bahut help bhi karte the.

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