उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधान सभा चुनावो में इस बार मुस्लिम मतों की अहम् भूमिका रहेगी | उत्तर प्रदेश की लगभग ११८ विधान सभा सीटो पर मुस्लिम मतदाताओ के वोट निर्णायक होंगे , साथ ही १९ जिलो में आने वाली विधान सभा सीटो पर मुस्लिम मतों की बहुत ज्यादा अहमियत है क्यों कि इन जिलो में मुस्लिम मतों के रुख से ही जीत हार तय होगी | आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में आगामी आठ फरवरी से तीन मार्च तक सात चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव होने हैं |
प्रदेश के मतदाताओ की ताज़ा स्थति का आंकलन करने से पता चलता है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मतदाताओ की तादाद किसी भी पार्टी के लिए जीत का जश्न या हार का सबक बन सकती है | मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रो में नए मतदाताओ में हुई बढोत्तरी ने मुस्लिम मतों को निर्णायक बना दिया है और जैसी की राजनैतिक दलों को उम्मीद है यदि मुस्लिम मतदाता पोलिंग बूथ तक आकर वोट डालने में कामयाब रहा तो कम से कम ११८ विधान सभा सीटो पर मुस्लिम मतों से ही जीत हर तय होसकेगी | यही कारण है कि कभी मुस्लिमो को कोसने और हिंदुत्व के मुद्दे पर प्रदेश में सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने मज़बूरी वश अपने अल्पसंख्यक चेहरे मुख़्तार अब्बास नकवी को मुस्लिम बाहुल्य इलाको में घूमने की ज़िम्मेदारी दी है |
चुनावो में मुस्लिम मतदाताओ को रिझाने के लिए समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है यहाँ तक कि समाजवादी पार्टी लखनऊ के शाही इमाम के संपर्क में है | सूत्रों से मिली खबरों के अनुसार समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव , शाही इमाम के साथ अपने पुराने संबंधो को भुनाने की कोशिश में लगे हैं | यह सब एन चुनाव के वक़्त इसलिए होरहा है क्यों कि अब प्रदेश का मुस्लिम युवा , समाजवादी पार्टी से मुंह मोड़कर राहुल गाँधी की तरफ मुड रहा है | सूत्रों के अनुसार समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोट बैंक को पैदा हुए इस खतरे ने सपा नेताओ की नींद उड़ा दी है |
उत्तर प्रदेश के अलीगढ , रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर, सहारनपुर, बरेली, पीलीभीत मुजफ्फरनगर, बहराइच, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, ज्योतिबाफुलेनगर, श्रावस्ती, बागपत, बदायूं, गाजियाबाद, लखनऊ, बुलंदशहर और मेरठ जिलो में सभी विधान सभा सीटो पर मुस्लिम मतों के निर्णायक होने से सभी राजनैतिक दलों को खासी मेहनत करनी पड़ रही है | युवा मुस्लिम मतदाताओ के हाल के कांग्रेस रुझान के अलावा राज्य में नए दलों पीस पार्टी और इंडियन जस्टिस पार्टी के उतरने से सबसे ज्यादा नुकसान समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को ही होता दिख रहा है | समाजवादी पार्टी का अहीर – मुस्लिम कोम्बिनेशन और मायावती का दलित – मुस्लिम कोम्बिनेशन बिगड़ रहा है | ऐसे में मुस्लिम मतदाताओ का एक एक वोट अहम् माना जा रहा है | राजनैतिक दलों की दूसरी बड़ी फिकर यह भी है कि मुस्लिम और दलित मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने में आलस नहीं दिखाते वही अन्य वर्ग के मतदाता के मतों का प्रतिशत ५० फीसदी से भी कम रहता है | यही एक बड़ी विवशता है कि कोई भी राजनैतिक दल मुस्लिम मतों को नज़रंदाज़ नहीं कर सकता |
writer
Raja zaid khan
inqlaab zindabad
प्रदेश के मतदाताओ की ताज़ा स्थति का आंकलन करने से पता चलता है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मतदाताओ की तादाद किसी भी पार्टी के लिए जीत का जश्न या हार का सबक बन सकती है | मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रो में नए मतदाताओ में हुई बढोत्तरी ने मुस्लिम मतों को निर्णायक बना दिया है और जैसी की राजनैतिक दलों को उम्मीद है यदि मुस्लिम मतदाता पोलिंग बूथ तक आकर वोट डालने में कामयाब रहा तो कम से कम ११८ विधान सभा सीटो पर मुस्लिम मतों से ही जीत हर तय होसकेगी | यही कारण है कि कभी मुस्लिमो को कोसने और हिंदुत्व के मुद्दे पर प्रदेश में सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने मज़बूरी वश अपने अल्पसंख्यक चेहरे मुख़्तार अब्बास नकवी को मुस्लिम बाहुल्य इलाको में घूमने की ज़िम्मेदारी दी है |
चुनावो में मुस्लिम मतदाताओ को रिझाने के लिए समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है यहाँ तक कि समाजवादी पार्टी लखनऊ के शाही इमाम के संपर्क में है | सूत्रों से मिली खबरों के अनुसार समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव , शाही इमाम के साथ अपने पुराने संबंधो को भुनाने की कोशिश में लगे हैं | यह सब एन चुनाव के वक़्त इसलिए होरहा है क्यों कि अब प्रदेश का मुस्लिम युवा , समाजवादी पार्टी से मुंह मोड़कर राहुल गाँधी की तरफ मुड रहा है | सूत्रों के अनुसार समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोट बैंक को पैदा हुए इस खतरे ने सपा नेताओ की नींद उड़ा दी है |
उत्तर प्रदेश के अलीगढ , रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर, सहारनपुर, बरेली, पीलीभीत मुजफ्फरनगर, बहराइच, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, ज्योतिबाफुलेनगर, श्रावस्ती, बागपत, बदायूं, गाजियाबाद, लखनऊ, बुलंदशहर और मेरठ जिलो में सभी विधान सभा सीटो पर मुस्लिम मतों के निर्णायक होने से सभी राजनैतिक दलों को खासी मेहनत करनी पड़ रही है | युवा मुस्लिम मतदाताओ के हाल के कांग्रेस रुझान के अलावा राज्य में नए दलों पीस पार्टी और इंडियन जस्टिस पार्टी के उतरने से सबसे ज्यादा नुकसान समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को ही होता दिख रहा है | समाजवादी पार्टी का अहीर – मुस्लिम कोम्बिनेशन और मायावती का दलित – मुस्लिम कोम्बिनेशन बिगड़ रहा है | ऐसे में मुस्लिम मतदाताओ का एक एक वोट अहम् माना जा रहा है | राजनैतिक दलों की दूसरी बड़ी फिकर यह भी है कि मुस्लिम और दलित मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने में आलस नहीं दिखाते वही अन्य वर्ग के मतदाता के मतों का प्रतिशत ५० फीसदी से भी कम रहता है | यही एक बड़ी विवशता है कि कोई भी राजनैतिक दल मुस्लिम मतों को नज़रंदाज़ नहीं कर सकता |
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