देश में आज तक कोई भी दल बिना मुस्लिम समर्थन के
सत्ता में नही आया हे अब कुछ लोग कहेंगे की बीजेपी आई थी तो सुनो उसने भी
फरुखाब्दुल्लाह (कश्मीर ) का समर्थन लिया था और वेसे भी उसे पूर्ण बहुमत नही आया इसका
18% मुस्लिमो का विरोध करके भी बाकि के दम पर सत्ता नही मिल सकी इसलिए मुस्लिम
वोटो की बहुत अहमियत हे हर कोई मुस्लिमो को अपनी तरफ लाना चाहता हे देश की सबसे
बड़ी पार्टी कांग्रेस मुस्लिमो को अपनी तरफ खीचने के लिए हिंदू आतंकवाद और हिंदुत्वा से डराती हे बेचारा मुलिम सोचता हे की कांग्रेस हमे बचा
लेगी लेकिन ऐसा नही हे लेकिन मुस्लिम बीच में फस चुके हे कांग्रेस को छोड़कर किसके
साथ जाये सभी तो मुस्लिमो को इस्तेमाल करते हे 17 अगुस्त 2010 को दिल्ली विधान सभा में कांग्रेस के विधायक नसीब सिंह ने मुस्लिमो के
बारे में कहा की मुस्लिम गंदे होते हे और गंदगी में रहना पसंद करते हे उस वक़्त
शिला दीक्षित भी मोजूद थी कांग्रेस की राजनीति सिर्फ मुस्लिमो को डराकर उनका वोट हथियाने तक ही सीमित हे पिछले वक्त रामविलास पासवान जिन्होंने कभी मुस्लिम मुख्यमंत्री की मांग करके बिहार के मुस्लिमो को लुभाना चाहा था वो भी मुस्लिम विरोधी बीजेपी की सरकार में रेलमंत्री व इस्पात मंत्री थे मायावती भी मुस्लिमो के वोटो से वजूद में आई और सत्ता के लिए बीजेपी से समर्थन लिया जो
मुस्लिमो विरोधी दल हे हलाकि इस लोकसभा में भाजपा भी मुस्लिमो को लुभाने की कोशिश
में रही जिसके लिए संघ परिवार के नेता मुस्लिम मंचो पर देखे गए और उन्होंने
मुस्लिमो को बराबर हक दिलाने की मांग भी की थी
मुस्लिम तो सिर्फ सम्पर्दायिक विरोधी हे इसलिए वो ये नही देखते कि कौन दोस्त और दुश्मन हे वो सिर्फ बीजेपी को हराना चाहते हे इसलिय जो भी पर्त्याशी बीजेपी को हरा सकता हे चाहे वो किसी भी पार्टी का हो को वोट देते हे जबकि मुस्लिम चाहे तो अपनी पार्टी को लाकर सरकार को अपना पंगु बना सकते हे कुछ लोग कहेंगे की मुस्लिमो में एकता कम हे तो सुनो मुस्लिम कौम में इतनी एकता हे की अगर ज़ुल्म इराक में होता हे तो दुआ हिंद की हर मस्जिद में होती हे मुहम्मद साहब का अपमान किसी और मुल्क में होता हे गुस्सा हिंद के मुसलमान को आता हे मुस्लिम देश में अमन चाहते हे वो दहशत गर्द नही हे इसलिए ही तो सम्पर्दायिक पार्टी बीजेपी का विरोध करते हे और पूरा हक न मिलने से कुछ मुस्लिम बगावत पर ज़रूर उतर आये हे एक बात समझ नही आती जब कश्मीर में मुस्लिम बंद करते हे तो पुलिस गोलिया चलाती है और कई को मार देती हे क्योकि उन्होंने पत्थर बरसाए लेकिन दूसरी और वो नक्सली हे जो पुलिस को मार रहे हे और अपनी सरकार चला रहे हे उन पर गोली नही चलायी जाती तो मुझे लगा के नक्सली कितनी गोली चला दे वो अपने हे और कश्मीरी अपने नही हे जब गोली के बदले गोली नही चल सकती तो पत्थर के बदले क्यों चल रही हे कश्मीर हमारा हे मगर कश्मीरी नही ये केसे भेदभाव हे जो देश को अलगाव की और ले जा रहा हे मुस्लिम अपने देश में ही गैर बन रहे हे बसपा से लेकर बीजेपी सब मुस्लिम राजनीति कर रहे हे कोई मारकर तो कोई डराकर
मुस्लिम तो सिर्फ सम्पर्दायिक विरोधी हे इसलिए वो ये नही देखते कि कौन दोस्त और दुश्मन हे वो सिर्फ बीजेपी को हराना चाहते हे इसलिय जो भी पर्त्याशी बीजेपी को हरा सकता हे चाहे वो किसी भी पार्टी का हो को वोट देते हे जबकि मुस्लिम चाहे तो अपनी पार्टी को लाकर सरकार को अपना पंगु बना सकते हे कुछ लोग कहेंगे की मुस्लिमो में एकता कम हे तो सुनो मुस्लिम कौम में इतनी एकता हे की अगर ज़ुल्म इराक में होता हे तो दुआ हिंद की हर मस्जिद में होती हे मुहम्मद साहब का अपमान किसी और मुल्क में होता हे गुस्सा हिंद के मुसलमान को आता हे मुस्लिम देश में अमन चाहते हे वो दहशत गर्द नही हे इसलिए ही तो सम्पर्दायिक पार्टी बीजेपी का विरोध करते हे और पूरा हक न मिलने से कुछ मुस्लिम बगावत पर ज़रूर उतर आये हे एक बात समझ नही आती जब कश्मीर में मुस्लिम बंद करते हे तो पुलिस गोलिया चलाती है और कई को मार देती हे क्योकि उन्होंने पत्थर बरसाए लेकिन दूसरी और वो नक्सली हे जो पुलिस को मार रहे हे और अपनी सरकार चला रहे हे उन पर गोली नही चलायी जाती तो मुझे लगा के नक्सली कितनी गोली चला दे वो अपने हे और कश्मीरी अपने नही हे जब गोली के बदले गोली नही चल सकती तो पत्थर के बदले क्यों चल रही हे कश्मीर हमारा हे मगर कश्मीरी नही ये केसे भेदभाव हे जो देश को अलगाव की और ले जा रहा हे मुस्लिम अपने देश में ही गैर बन रहे हे बसपा से लेकर बीजेपी सब मुस्लिम राजनीति कर रहे हे कोई मारकर तो कोई डराकर
wakai fazil sahab aapne jo likha hai maine pada or aap ne jo likha wo bilkul sahi hai muslmano ko apni ek sarkar banani chahiye
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