नदीम अहमद मुरादाबाद जिले के गाव रतनपुर कला के रहने वाले एक ग़रीब मुस्लिम नोजवान हे जो अब से २ साल पहले उत्तराखंड के जिले पिथोरा गढ़ के शहर थल में कपडा बेचने के लिए गए वहां मुसलमान होने की वजह से जो परेशानी उन्हें हुयी वो उनकी आपबीती में आपके सामने हाज़िर है
उस वक़्त नदीम अहमद की उम्र ३२ साल थी चेहरे पर अल्लाह का नूर सजा था माशाल्लाह चेहरे पर नबी की सुन्नत सजी थी यानि दाड़ी रखते है जब वो थल पहुचे तो सर्दी का मोसम था इलसिए वो अपने सर पर उन का एक कैप लगाये रहते थे जो उनके सर और कानो को ठण्ड से बचाता था इसकी वजह से लोग उन्हें सिख समझते थे और सरदार जी बोलते थे काम बहुत मेहनत का था कपड़ो का एक गठरी बांध कर गाव गाव घूम कर कपडे को बेचा करते थे एक दिन थाना अस्कोर्ट के पास ही एक गाव में गर्मी लागने से उन्होंने अपना कैप उतारा और चलने लगे थोड़ी दूर ही चले थे की एक पुलीस वाले ने उनका गिरेबान पकड़ कर एक ज़ोरदार थप्पड़ मारा और लाइसेंस माँगा (वहां कपडा बेचने के लिए एक लाइसेंस बनवाना होता हे जो अपनी पहचान पात्र की कॉपी देने के बाद पुलिस के ज़रिये जांच होने के बाद कुछ पैसो पैसो के नकद भुक्तं पर बनता हे लेकिन इस काम में महीने भर का वक़्त लगता हे ) नदीम अहमद का लाइसेंस अभी तेयार नही हुआ था इस पर पुलिस वाले ने पहचान पत्र माँगा नदीम अहमद ने पहचान पात्र की कॉपी दिखाई जिसे देख कर पुलिस वाले ने कॉपी को देखा और फाड़ कर फेक दिया और ओरिगिनल माँनगा ओरिगिनल पहचान पत्र देखते ही उसने नदीम अहमद से छीन लिया और बोला तू मुस्लमान हे और आतंकवादी हे सभी दाड़ी वाले मुस्लमान आतकवादी होते है अब मै तेरा ऐसा हाल करूँगा की तू दाड़ी रखना तो दूर खुद को मुस्लमान कहना भी भूल जायेगा ये कहते हुए उसने नदीम अहमद को बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया नदीम रहम की भीक मांगने लगा वही पास ही एक बूढ़ा आदमी आग जला कर हाथ सेक रहा था नदीम उससे बचाने की गुज़ारिश करने लगा तो पुलिस वाले ने आग से एक जलती हुयी लकडी निकाली और नदीम की दाड़ी में लगा कर दाड़ी को जला दिया शोर की आवाज. सुन कर आस पास के लोग जमा हो गए और उन लोगो ने तरस खाकर कर नदीम को बचाय़ा और वहां से भगा दिया इस तरह आजाद कहे वाले भारत में एक गरीब मुस्लमान जुलम का शिकार होते होते बच गया नही तो एक और बेकसूर मुस्लमान को आतंकवादी कह कर जेलl में डाल दिया जाता हमारी मीडिया उसे आतंकवादी साबित कर देती और कोई कुछ न कर पाता ......
In India everybody is trying to make his own rules. Politicians are most busy in corruption and hence they want that people must quarrel among themselves and let them free for more uninterrupted corruption. Therefore we have to work on many fronts - 1) remove corrupt people from power and bring HONEST YOUTHS in power.
जवाब देंहटाएं2) Burry all cast and religion differences.
3) End to superstitions, DAWRY.
4) Frame a new HUMAN RELIGION.
5) GIVE AT LEAST ONE TIME RATIONING TO EVERY POOR.
6) RIGHT OF EDUCATION, RIGHT OF EQUAL OPPORTUNITIES.
7) HEALTH TO ALL NOT MEDICINES.
sunkar bahut dukh hua,ye to kuch logo ki gandi soch h ki vo har muslim ko terrorist samjhte hain.unko apni soch badalni chahiye.
जवाब देंहटाएंAapki Soch kitni sankuchit hai jo ek pulishwale ka julm dekhkar hindustan ke saare musalmano ki sthiti ka andaja lagata hai par us muslim yuvak ko bachane kitne log aage aaye use dekhte samay aankhen band kar leta hai. aur ab dadhi aatankvadi bhi rakhenge aur ek aam muslim bhi to ek sadharan aadmi ki unke baare me aisi dharna ban hi jaati hai.... 9/11 ke baad isi soch ke tahat kitne sardaron ko mara gaya.....
जवाब देंहटाएंmujhe yakin hi nahi ho rahaa hai ki is hindustaan me koi bhi police waalaa ek musalmaan ke saath aisaa kar saktaa hai.kyonki koi bhi Hindu bhalaa aisa kaise kahegaa ki tu musalmaan kahnaa bhool jaayegaa.yahaan koi dharam parivartan to kiya nahi jaataa hai.mujhe aisaa dikhtaa hai baat ko kuchh sansani khej banaakar likha gaya hai.
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